लोकसभा में मिशन 45 का लक्ष्य लेकर चुनाव लड़ने उतरी महायुति महज 17 सीटों पर सिमट गई। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने 48 में से 41 सीटें जीती थीं। लेकिन इस बार मतदाताओं ने तगड़ा झटका दिया। अब विधानसभा में भी वही दोहराए जाने की संभावना है।
महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 145 सीटें चाहिए। लोक पोल के सर्वे के मुताबिक, विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाडी (MVA) को 141 से 154 सीटें मिलने का अनुमान है। एमवीए को 41 से 44 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है।
जबकि सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को 115 से 128 सीटें मिल सकती हैं। सर्वे में महायुति को 38 से 41 फीसदी वोट मिलने का अनुमान जताया गया है। जबकि अन्य दलों, निर्दलियों को 5 से 18 सीटें मिलने का अनुमान है। उनके खाते में 15 से 18 फीसदी वोट जा सकते है।
ठाणे-कोकण बेल्ट की बात करें तो सर्वे में यहां महायुति को महाविकास अघाडी से आगे रहने का अनुमान जतय गया है। वहीँ, खानदेश में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टक्कर होने की भविष्यवाणी की गई है. विदर्भ, मुंबई, पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड़ा में महाविकास अघाडी का दबदबा रहने की संभावना है।
लोक पोल के सर्वे के अनुसार, विदर्भ में महायुति को सिर्फ 15 से 20 सीटें मिलने का अनुमान है। जबकि महाविकास अघाडी के उम्मीदवार 40 से 45 सीटें जीत सकते है। खानदेश में महायुति और महाविकास अघाडी को 20 से 25 सीटें (हर एक को) मिल सकती हैं।
ठाणे-कोंकण बेल्ट में महायुति को 25 से 30 सीटें मिल सकती हैं। जबकि विपक्षी गठबंधन को सिर्फ 5 से 10 सीटें मिलने की संभावना है। मुंबई में महाविकास अघाडी लोकसभा की तरह फिर बाजी मार सकती है और यहां 20 से 25 सीटें मिलने अनुमान है। जबकि महायुति 10 से 15 सीटों पर रुक सकती है।
पश्चिमी महाराष्ट्र में भी सत्तारूढ़ गठबंधन को झटका लगने की भविष्यवाणी सर्वे में की गई है। महायुति को 20 से 25 सीटें और महाविकास अघाडी को 30 से 35 सीटों पर सफलता मिलने की संभावना है। वहीं मराठवाड़ा में महायुति को 15 से 20 सीटें और महाविकास अघाड़ी को 25 से 30 सीटें मिलने का अनुमान है।
मालूम हो कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन में बीजेपी, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) शामिल हैं। जबकि विपक्षी एमवीए गठबंधन में कांग्रेस, एनसीपी शरदचंद्र पवार और शिवसेना (उद्धव गुट) है। एमवीए के तीनों दल इंडिया गठबंधन के भी घटक है। एक बात तो साफ है कि लोक पोल के सर्वे ने सत्तारूढ़ गठबंधन की टेंशन बढ़ा दी है और एमवीए का मनोबल बढ़ा है।