राज्य में एमएनएस ने हलाल मीट का विरोध किया है। इसके साथ ही एमएनएस का कहना है कि हलाल की वजह से हिंदुओं की आजीविका और राजस्व पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। यशवंत किल्लेदार ने कहा कि ‘हलाल’ इस्लाम में जानवरों को मारने का क्रूरता पूर्ण तरीका है, इसलिए अब ‘नो टू हलाल’ अभियान शुरू करने की जरुरत है।
बता दे कि ठाकरे की पार्टी मनसे ने इसे आतंकवाद को आर्थिक मदद पहुंचाने वाला सबसे बड़ा तंत्र बताया है। मनसे की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, हलाल मीट की अहमितयत इतनी बढ़ गई है कि झटका मीट का कारोबार प्रभावित हो रहा है। यह मैकेनिज्म शाकाहारी भोजन और मांस नहीं खाने वाले लोगों को भी निशाना बना रहा है।
मनसे नेता यशवंत किल्लेदार ने लेटर में कहा है कि हिंदू, सिख और क्रिश्चियन धर्म के लोगों में झटका तरीके से मांस खाया जाता है। हलाल तरीके से जानवरों को मारने के व्यवसाय में तेजी आई है, जिसकी वजह से झटका मास और उसे बेचने वाले खटीक और वाल्मीकि समाज खत्म हो रहे हैं। हमें इसे महाराष्ट्र में रोकना बहुत जरुरी है। इसके खिलाफ हमें आंदोलन करने के लिए लोगों की जरूरत है और लोगों से इस काम में जुड़ने की अपील करते हैं।
‘नो टू हलाल’ अभियान शुरू करना जरुरी-मनसे मनसे नेता यशवंत किल्लेदार ने कहा कि नागरिकों को इस बात की खबर तक नहीं है कि जिस मेहनत के पैसों से वह यह चीजें खरीदते हैं, उसी पैसे का उपयोग आतंकवाद को फैलाने के लिए किया जा रहा है और हम सबको मिलकर इसे बंद करना चाहिए। इसीलिए ‘नो टू हलाल’ अभियान शुरू करना जरुरी है। बस व्यवसाय के साथ ही अन्य शाकाहारी उत्पादन जैसे चिप्स, बिस्किट, लिपस्टिक, चॉकलेट और आइसक्रीम इत्यादि चीजों में भी जमीयत उलेमा ए हिंद इस संगठन का हस्तक्षेप बढ़ रहा है। कुछ समय पहले ही मनसे ने मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाया था।