तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को साफ कहा कि वे लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस समेत किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेंगी। इसके बाद आज महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) ने भी स्पष्ट कहा है कि वह राज्य की 48 में से 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी ही। क्योंकि वह पहले से राज्य की 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कई बार राज्य की 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की योजना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग पर चर्चा कांग्रेस हाईकमान से होगी, क्योंकि राज्य के नेताओं के पास फैसला लेने का अधिकार नहीं और और बात बिगड़ जाती है।
मुंबई में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राज्यसभा सांसद राउत ने कहा, “महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना ही है, उसका जनाधार अधिक है.. कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। हमारी बात कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ अच्छे रूप से चल रही है… हमने कहा कि हम महाराष्ट्र में लोकसभा के लिए हमेशा 23 सीटों पर लड़ते आए हैं। हमने पहले तय किया था कि जो जीती हुई सीटें हैं उन पर बाद में बात होगी… कांग्रेस ने महाराष्ट्र में कोई सीट नहीं जीती है, कांग्रेस महाराष्ट्र में जीरो से शुरूआत करेगी लेकिन कांग्रेस महाविकास अघाडी में हमारा महत्वपूर्ण साथी है। महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना मिलकर काम करेंगे और इससे हमें, एनसीपी या कांग्रेस हाईकमान को कोई तक़लीफ नहीं है।”
बता दें कि उद्धव गुट के तेवर ने न केवल इंडिया अलायंस, बल्कि सूबे की महाविकास अघाडी (एमवीए) में शामिल उसकी सहयोगी दलों की भी टेंशन बढ़ा दी है। 2019 में महाराष्ट्र में एमवीए का गठन हुआ, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) शामिल है। लेकिन अकेले 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी मांगने पर कांग्रेस और शरद पवार गुट में खींचतान बढ़ना तय है। एनसीपी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में बची हुई सिर्फ 25 सीटों में कांग्रेस और एनसीपी के साथ ही कुछ छोटी सहयोगी पार्टियों को समायोजित करना एक चुनौती होगी।