महाराष्ट्र सरकार ने ‘शक्ति के दुरुपयोग’ के आरोप में किशोर न्याय बोर्ड (Juvenile Justice Board) पुणे के दो राज्य-नियुक्त सदस्यों को बर्खास्त कर दिया है। विवादास्पद जमानत शर्तों के साथ पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले में किशोर आरोपी को जमानत देने के बाद दोनों सदस्यों की जांच चल रही है।
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पुणे के अग्रवाल परिवार का अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन? छोटा राजन का क्यों आया नाम मालूम हो कि पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 19 मई को पोर्शे कार से हुए हादसे में सॉफ्टवेयर इंजीनियरो अनीस अहुदिया (24) और अश्विनी कोस्टा (24) की मौत हुई थी। दोनों मध्य प्रदेश के मूल निवासी थे और काम के सिलसिले में पुणे में रह रहे थे।
पुलिस के मुताबिक, हादसे के समय रिएल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल का नाबालिग बेटा नशे की हालत में लग्जरी कार चला रहा था। पुलिस ने दुर्घटना के बाद 17 साल 8 महीने के आरोपी को हिरासत में लेकर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया, लेकिन उसे मामूली शर्तों पर जमानत मिल गई। इसका भारी विरोध हुआ तो पुलिस और सरकार एक्शन मोड में आ गई। जिसके बाद नाबालिग आरोपी को बोर्ड ने सुधार गृह भेज दिया।
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पुलिस ने आरोपी को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया था, जहां उसे जमानत मिल गई। बोर्ड ने उसे आरटीओ जाकर यातायात नियम पढ़ने का निर्देश दिया था। साथ ही आदेश में कहा था कि सीसीएल (कानून का उल्लंघन करने वाला बच्चा) सड़क हादसे और उसका समाधान विषय पर 300 शब्दों का निबंध लिखेगा।
इसके साथ ही आरोपी किशोर को 15 दिनों के लिए पुणे की येरवडा ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने, एक्सीडेंट पर निबंध लिखने, शराब छोड़ने में मदद के लिए संबंधित डॉक्टर से इलाज करवाने के अलावा मनोचिकित्सीय परामर्श लेने का भी निर्देश दिया गया।