रेलवे पुलिस बल (RPF) के कांस्टेबल चेतन सिंह (35) ने पिछले साल 31 जुलाई को पालघर रेलवे स्टेशन के पास अपने स्वचालित हथियार से आरपीएफ के सहायक उपनिरीक्षक (ASI) टीकाराम मीणा और तीन अन्य यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। चेतन को पहले ही आरपीएफ से बर्खास्त किया जा चुका है।
जयपुर-मुंबई ट्रेन में जब आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह ने गोलीबारी की थी तो अमय आचार्य और नरेंद्र परमार भी ट्रेन में मौजूद थे। आरोप है कि दोनों वारदात के बाद घटनास्थल से दूर चले गए। ड्युटी में अपना काम करने में विफल रहने के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया है।
क्या है मामला?
मालूम हो कि ASI टीकाराम मीणा (उम्र 58 वर्ष), पुलिस कांस्टेबल नरेंद्र परमार (उम्र 58 वर्ष), कांस्टेबल अमेय आचार्य (उम्र 26 वर्ष) और कांस्टेबल चेतन सिंह (उम्र 33 वर्ष) घटना वाली रात मुंबई-जयपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में ड्यूटी पर थे। इन सभी को 28 जुलाई से मेल पैसेंजर ट्रेनों के एस्कॉर्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
चारों पुलिसकर्मी ट्रेन को एस्कॉर्ट करने के लिए रविवार रात 9 बजे के करीब सौराष्ट्र मेल ट्रेन से मुंबई से सूरत गए और सूरत से जयपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस से मुंबई लौट रहे थे। सुबह करीब साढ़े 5 बजे पालघर रेलवे स्टेशन के पास चलती ट्रेन में चेतन सिंह ने गोलीबारी की। बाद में यात्रियों ने मीरा रोड स्टेशन के पास ट्रेन की चेन खींचकर ट्रेन को रोका। ट्रेन रुकने के बाद चेतन उतर गया और ट्रैक के किनारे मीरारोड रेलवे स्टेशन की ओर चलने लगा। तभी उसे राइफल के साथ पकड़ लिया गया। चेतन तब से हिरासत में है। आरोपी के वकील का दावा है कि चेतन की मानसिक स्थिति स्थिर नहीं है।