शिवसेना नेता संजय निरुपम ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, “2019 में जब शिवसेना विभाजित नहीं हुई थी और उद्धव ठाकरे पार्टी प्रमुख थे, तब पार्टी के 18 सांसद चुने गए थे। तो, क्या बीजेपी ने शिवसेना से 18 मंत्री बनाए थे? उस समय भी केवल एक सांसद मंत्री बना था.. कैबिनेट मंत्री है या स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री (MoS) है, इससे क्या फर्क पड़ता है? MoS स्वतंत्र प्रभार के पास भी उस मंत्रालय के सारे अधिकार, सारी जिम्मेदारी होती है। वह मंत्रालय का प्रमुख होता हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि एकनाथ शिंदे ने अच्छी बार्गेनिंग की है और बेहतर पाया है।”
विरोधी अफवाह फैला रहें है- निरुपम
निरुपम ने शिवसेना विधायकों के शिवसेना (उद्धव गुट) में जाने की अटकलों पर कहा, “यह शिवसेना (UBT) द्वारा किया जा रहा दुष्प्रचार व अफवाह है, शिवसेना का एक भी विधायक UBT के संपर्क में नहीं है… शिवसेना के संदर्भ में मैं 100% गारंटी के साथ कह सकता हूं कि कोई विधायक उधर जाने के लिए तैयार नहीं है। जो रोज़ ऐसी अफवाहें उड़ा रहे हैं उन्हें मैं चुनौती देता हूं कि किसी एक विधायक का नाम बताएं…” मालूम हो कि रविवार शाम हुए शपथग्रहण समारोह में मोदी कैबिनेट 3.0 में कुल 72 मंत्रियों ने शपथ ली। इसमें शिंदे नीत शिवसेना के प्रतापराव जाधव ने स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि एनसीपी (अजित पवार) ने कैबिनेट मंत्री पद की मांग पर जोर देते हुए राज्य मंत्री का पद ठुकरा दिया और कहा कि वह कैबिनेट मंत्री पद मिलने के लिए इंतजार करेंगे।
विपक्ष ने साधा निशाना
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शिवसेना और एनसीपी पर तंज कसते हुए कहा, मोदी मंत्रिमंडल में दोनों दलों के बहुत कम हिस्सेदारी ने साबित कर दिया कि बीजेपी ने उन्हें उनकी जगह दिखा दी है। वहीँ, कांग्रेस नेता व महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि अगर अजित पवार की एनसीपी अभी राज्य मंत्री का पद नहीं लेती है, तो उसे आगे कुछ भी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अजित दादा को देर-सवेर महसूस होगा कि बीजेपी के पास अपने सहयोगियों के लिए इस्तेमाल करो और हटाओ की नीति है।’’
बता दें कि जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना एनडीए में थी और सत्ता में आई थी, तब उसे मोदी सरकार में कैबिनेट पद तो मिला था, लेकिन यह भारी उद्योग जैसा कम महत्वपूर्ण वाला मंत्रालय था।