अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर पर संजय राउत ने कहा- ‘…ऐसे एनकाउंटर करने वाले गए जेल’
चीनी मिल पर 250 करोड़ रुपये का कर्ज
उन्होंने कहा “हमने इस मुद्दे को सहकारिता मंत्री अमित शाह के समक्ष भी उठाया था। मैंने केंद्रीय नेतृत्व को वित्तीय संकट और चीनी मिल के नुकसान की जानकारी दी थी। हमने चीनी मिलों के लिए सरकार से मदद भी मांगी थी।’
धनंजय मुंडे के साथ बढ़ी करीबी
मालूम हो कि चीनी कारखाने पर छापेमारी से एक दिन पहले ही पंकजा को बीड के भगवानगढ़ (Bhagwangad) में अपने चचेरे भाई और एनसीपी के पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे (Dhananjay Munde) के साथ एक मंच पर देखा गया था। पंकजा ने पहली बार सफाई देते हुए कहा कि कुछ लोगों ने उनके बीच गलतफहमी पैदा कर दी थी। धनंजय ने भी पंकजा की जमकर तारीफ की थी।
बीजेपी आलाकमान से हैं नाखुश!
दरअसल, पंकजा और धनंजय के अपने मतभेदों को खत्म करने के पीछे राजनीतिक मायने भी हैं। साल 2019 में पंकजा धनंजय के खिलाफ एक करीबी मुकाबले में परली विधानसभा सीट (Parli Assembly Seat) से हार गई थीं. तब उन्होंने अपनी हार को बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों की साजिश करार दिया था। पंकजा मुंडे ने निराशा व्यक्त करते हुए अपने पतन के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद से कई मौके पर बीजेपी नेताओं व मुंडे के बीच तनातनी देखी गई।
उद्धव गुट और रांकपा का ऑफर ठुकराया
कुछ महीने पहले शिवसेना (उद्धव गुट) ने पंकजा को बीजेपी में अपमान का सामना करने के बजाय अपनी पार्टी में शामिल होने का खुला प्रस्ताव दिया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की ओर से भी उन्हें कुछ ऐसे ही संकेत मिले थे। हालांकि, पंकजा स्पष्ट कह चुकी हैं कि उनकी वफादारी सिर्फ बीजेपी के साथ है।