फिल्म: वनवास कलाकार: नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा, सिमरत कौर निर्देशक: अनिल शर्मा लेखक: सुनील सिरवैया रेटिंग: **** Vanvaas Review: अनिल शर्मा की वनवास परिवारिक रिश्तों की एक दिल छू लेने वाली कहानी है, जो आज के उस दौर में सेट है, जहां खुद को पहले रखने और दूरियां बढ़ाने का चलन है। यह फिल्म बड़ी ही खूबसूरती से रिश्तों की भावनात्मक पेचीदगियों को दिखाती है और साथ ही एकता और समझदारी का मजबूत संदेश देती है।
फिल्म अपनी दिल छू लेने वाली कहानी के लिए खास है, जिसे अनिल शर्मा ने लिखा है। उन्होंने कहानी में ह्यूमर, टकराव और माफ़ी को बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है। कहानी के केंद्र में नाना पाटेकर हैं, जिन्होंने अपने करियर की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है।
नाना पाटेकर ने एक ऐसे परिवार के मुखिया का किरदार निभाया है, जो बदलते रिश्तों की चुनौती से जूझ रहा है। उनका अभिनय बिल्कुल असली, भावुक और दिल को छू लेने वाला है। वहीं, उनके साथ उत्कर्ष शर्मा ने अपनी सादगी भरी लेकिन दमदार एक्टिंग से सभी का ध्यान खींचा है, जिससे यह साफ हो गया है कि वह भारतीय सिनेमा में एक उभरते हुए टैलेंट हैं।
वनवास भावनाओं पर फोकस करता है, लेकिन इसे जरूरत से ज्यादा ड्रामेटिक नहीं बनाता। कहानी दर्शकों से गहराई से जुड़ती है और हर मुस्कान और आंसू को असली महसूस कराती है। अनिल शर्मा का डायरेक्शन इन पलों में जान डाल देता है, जिससे फिल्म की कहानी शुरू से आखिर तक अपने साथ बांधे रखती है।
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी परिवार के माहौल को खूबसूरती से दिखाती है, जो फिल्म की व्यक्तिगत भावना को और बढ़ा देती है। बैकग्राउंड म्यूजिक पूरी तरह से फिल्म के भावनात्मक उतार-चढ़ाव से मेल खाता है, जिससे अनुभव और भी गहरा हो जाता है।
अगर एक चीज जो थोड़ी अच्छी हो सकती थी, तो वह है सेकंड हाफ की स्पीड जहां कुछ सींस थोड़े लंबे लगते हैं। पर ये एक छोटी सी बात है, जिसे छोड़ दें तो यह एक कमाल की फिल्म है।
“वनवास” सिर्फ एक फिल्म नहीं है, ये हमारे जीवन का आईना है, जो हमें इंसानी रिश्तों की नाजुकता और ताकत दिखाती है। इस दिल को छू लेने वाली फिल्म को अपने दोस्तों और परिजनों के साथ देखें। कहना गलत नहीं होगा कि इस फिल्म से सिखी हुई बातें फिल्म खत्म होने के बाद भी सभी के दिलों में बनीं रहने वाली है।