काम शुरू हुआ नहीं, योजना पर खर्च हुई 1.40 करोड़ की राशि
– म प्र शासन के कृषि मंत्री दे चुके हैं विधानसभा में जवाब
– किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरुक करने व भूमि कटाव रोकने संबंधी अन्य कार्य होने हैं चंबल अभ्यारण्य से जुड़े गांवों में
मुरैना. किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरुक करने, बीहड़ कटाव रोकने पौधारोपण करने का काम हरित क्रांति योजना के तहत ऐसे गांवों में काम होना था जो चंबल अभ्यारण्य क्षेत्र के नजदीकी हैं, इस योजना का काम गांवों में अभी शुरूआती दौर में हैं, विधानसभा मे कृषि मंत्री ऐंदल सिंह कंषाना बता चुके हैं कि अभी तक 1.40 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर स्थित इस योजना के चयनित दो गांव जाटोली व बाबरी पुरा का भ्रमण किया और वहां ग्रामीणों से चर्चा की तो पता चला कि इस तरह की योजना अभी तक गांवों में शुरू नहीं हुई है। जबकि पहली बार 2022 में चयनित छह गांवों में जाटोली व बाबरी पुरा भी शामिल हैं। ग्रामीणों ने बताया कि न तो भूमि कटाव रोकने कोई पौधारोपण किया है और न ही कोई जागरुकता को लेकर गांवों में बैठक हुई है। अभी तक स्थिति व ग्रामीणों से बातचीत से पता चलता है कि पूरी योजना में हवाई स्तर पर काम चल रहा है। पहली बार में जाटोली, बाबरीपुरा के अलावा अटार, जाबरोल, कैमाराकला पंचायतों को चयनित किया गया था। लेकिन इन गांवों में कोई काम दिखाई नहीं दे रहा है। इस योजना के लिए पंचायत स्तर पर जिन गांवों का सिलेक्शन होना है, फूड आफ एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन दिल्ली को तय करना है।
ये होना है किसानों के बीच चंबल अभ्यारण्य के नजदीक वाले गांवों में किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देना, मीटिंग गांव में जो समस्याएं होती है, उसमें क्या परेशानी आती है, भूमि कटाव, पर्यावरण आदि के लिए पौधे लगाने, फर्टिलाइजर न डाले जो बारिश में बहकर चंबल नदी में जाएगा, जीव जंतु मरेंगे। प्राकृतिक खाद का उपयोग करें। पशुओं का रख रखाव करे, समय पर वेक्सिनेशन कराएं आदि कार्य रहेंगे। इसके लिए गांवों में कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन भी नियुक्त किए जा रहे हैं। 116 गांव चिन्हिंत, 90 में होना है काम इस योजना के लिए मुरैना व श्योपुर जिले के 116 सिलेक्ट हुए। इनमें से 26 गांव बिना आवादी वाले हैं अर्थात इन गांवों के लोग दूसरी जगह बस गए, इसलिए 90 गांव ही हैं जिनमें इस योजना के तहत काम होना हैं। मुरैना जिले के 40 गांव शामिल थे, जिनमें से छह गांव बिना आवादी के निकले इसलिए 32 काम होना हैं लेकिन पहली बार में मुरैना जिले के छह पंचायतों को चयनित किया गया था, उनमें भी अभी तक ठीक से काम शुरू नहीं हो सका है। क्या कहना हैं ग्रामीणों का
हमारे गांव में हरित क्रांति योजना के संबंध में अभी तक न कोई बैठक हुई है और न कोई पौधे लगाए गए हैं। न ही इस तरह की कोई जानकारी किसी सदस्य ने दी है। अजीत भारती, जाटोली
न गांव और न हार- बीहड़ में योजना के तहत कोई पौधरोपण हुआ है और किसानों को जागरुक करने जैसी कोई बैठक हुई है। पंचायत द्वारा जरूर गांव में पौधरोपण किया है। लक्ष्मण जाटव, जाटोली
हमारे गांव व चंबल किनारे बीहड़ में कोई पौधे नहीं लगाए गए हैं और न ही भूमि कटाव व कृषि उत्पादन बढ़ाने संबंधी कोई जागरुकता वाला कार्यक्रम किया गया है। भैरोलाल रावत, बाबरी पुरा
विभाग द्वारा योजना कागजों में संचालित की जा रही है। हमारे गांव व आसपास में कोई काम नहीं हुआ है और न ही किसानों के बीच कोई बैठक आयोजित की गई है। ऋषिकेश रावत, बाबरीपुरा कथन
हरित क्रांति योजना के तहत हमारी पंचायत में कोई काम नहीं हुआ है और न कोई अधिकारी पंचायत में आए हैं। सरोज नवल जाटव, सरपंच, ग्राम पंचायत, जाटोली
मुरैना जिले के लिए 40 गांव चिन्हित किए थे लेकिन छह गांव बिना आवादी वाले थे इसलिए 32 में ही काम होना था, इनमें से अभी तक छह पंचायतों में ही काम शुरू किया गया था। यहां भूमि कटाव रोकने पौधे रोपने हैं, किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरुक करना हैं। अभी तक जो खर्च हुआ है, वह कर्मचारियों की तनख्वाह पर हुआ है, धरातल पर योजना का काम गति पकड़ रहा है। डॉ. आर एस गुर्जर, डिस्ट्रिक्ट सपोटर, मुरैना