बता दें कि, बदहाल स्वास्थ व्यवस्था की हकीकत बयां करता है मामला जिले के अंतर्गत आने वाले सबलगढ़ सिविल अस्पताल का है। यहां सबलगढ़ रामपुर रोड पर रहने वाले एक गरीब परिवार सबलगढ़ सिविल अस्पताल इलाज के लिए आया था। लेकिन 2 बजे से 5 बजे तक परिवार को इलाज के लिए गेट के भीतर अस्पताल में नहीं जाने दिया गया। नतीजतन ये गेट के बाहर ही पड़े रहे बताया जा रहा है कि, एक महिला अपने पति का इलाज कराने यहां पहुंची थी। उनके साछ एक छोटी बच्ची भी थी, जो दोनों की बेटी थी। महिला इलाज के लिए डॉक्टरों से गुहार लगाती रही। लेकिन किसी ने उसकी सुध तक नहीं ली।
वीडियो वायरल हुआ जब जागा प्रबंधन
हालांकि, मामले ने उस समय तूल पकड़ लिया, जब अस्पताल आने वाले कुछ लोगों ने इस घटनाक्रम के कुछ वीडियोज सोशल मीडिया पर डाल दिए। वीडियो वायरल होते हुए अस्पताल प्रबंधन के समक्ष भी पहुंच गया। इसपर, डॉक्टरों ने अपनी नौकरी बचाने के लिए मरीज को आनन फानन में इलाज के लिए भर्ती किया, ताकि उनकी नौकरकी पर गाज न गिर जाए।
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जान गवाना यहां सबसे आसान
एक ओर तो प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर आमतौर पर बड़े बड़े दावे और बातें करते हैं। लेकिन, अब इस बार इसकी हकीकत सबलगढ़ अस्पताल की शासकीय योजनाओं से सामने आ गया है। यहां मरीजों की सुध लेने वाला भी अस्पताल में कोई नहीं। ऐसे में अगर कोई शख्स गंभीर अवस्था में सबलगढ़ सिविल अस्पताल में उसकी फरियाद सुनने वाला ही कोई न मिले। ऐसे हालात में इलाज के अभाव में जान गवाना यहां बेहद आसान है।