विधानसभा चुनाव से अधूरे पड़े हैं 116 करोड़ के काम
1-आसन बैराज : साल 2018-19 में 116 करोड़ की लागत से आसन नदी पर 23 मिलियन क्यूबिक क्षमता वाला आसन बैराज तैयार हुआ। लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी इस बैराज में पानी नहीं भरा जा सका है। 2-25 लाख की लागत से उपतहसील भवन बनकर 6 साल से खाली पड़ा है। नायब तहसीलदार, तहसीलदार के जौरा बैठने की वजह से 60 से अधिक गांव के लोगों को खसरा-खतौनी, नामांकन जैसे छोटे-मोटे कामों के लिए भी 17 किमी दूर जौरा के चक्चर लगाने पड़ रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में किए गए वादे अबतक अधूरे हुआ कुछ नहीं
1-खेल स्टेडियम बनाने के लिए सुमावली से एक किमी दूर जमीन चिन्हित की गई, लेकिन अबतक निर्माण शुरु नहीं हुआ। 2-2020 में मालनपुर से नूराबाद-टेकरी-करहधाम-सुमावली होते हुए छैरा-एमएस रोड तक सड़क बनाई गई। लेकिन बीच में पड़ने वाली आसन नदी पर पुल नहीं बनने से यह रास्ता भी अनुपयोगी पड़ा हुआ है। जबकि पुल निर्माण का भूमिपूजन 12 साल पहले खुद कृषिमंत्री ने ही विधायक रहते हुए किया था। सुमावली कस्बे में डिग्री कॉलेज सीएम राइज स्कूल कन्या हाईसेकेडी स्कूल, रेस्ट हाउस जैसी सुविधा भी नहीं है। -किसान बोले: कृषि मंत्री हमारे क्षेत्र से फिर भी नहीं मिल रहा खाद सुमावली विधानसभा मुख्यालय पर रहने वाले किसान सोनेराम यादव बताते हैं कि कुल 3 सोसाइटियां हैं निटहरा, सुमावली और मैनाबसई। 2 लाख 56 हजार मतदाता वाली विधानसभा में पुरुष आबादी 1 लाख 40 हजार है। कृषि बहुल क्षेत्र में किसानों की संख्या 70 हजार के करीब है। 70 हजार किसानों के लिए तीन सोसाइटियों के जरिए कुल 155 टन उर्वरक बांटा गया। जिसमें 45 टन डीएपी, 75 टन यूरिया और 35 टन एएसपी शामिल है। किसान वकील सिंह गुर्जर का कहना है कि सुमावली क्षेत्र के किसानों को जौरा-मुरैना के खाद वितरण केंद्रों पर 4-4 दिन लाइन में लगकर धक्के खाने पड़े।