मुरैना. श्रीदाऊजी मंदिर मुरैना गांव में चल रही लीला मेला के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने प्राचीन तालाब में नागदेवता के रूप में दर्शन देकर 785 वर्ष पूर्व स्वामी परिवार के मुखिया गोपराम स्वामी को दिया बचन निभाया। नागदेवता को देखते ही तालाब किनारे जमा हजारों की भीड़ के बीच जयकारे गूंज उठे। मंदिर के महंत रामनिवास स्वामी का कहना हैं कि 785 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण मुरैना गांव में गाय चराने आते थे। स्वामी परिवार के मुखिया गोपराम स्वामी जिन्हें दाऊजी के नाम से पुकारते थे, भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। कालांतर में भगवान श्रीकृष्ण जब मुरैनागांव से विदा हो रहे थे तब गोपराम स्वामी ने उनको रुकने के लिए विनय की तब भगवान श्रीकृष्ण ने बचन दिया था कि मैं जा रहा हूं परंतु दीपावली की पड़वा से साढ़े तीन दिन के लिए मैं मुरैना गांव जरूर आया करूंगा और तालाब में नाग के रूप में दर्शन दूंगा, उसी बचन को निभाने इस बार भी लीला मेला के शुभारंभ पर पड़वा शनिवार की देर शाम मुरैना गांव के प्राचीन तालाब में भगवान ने नागदेवता के रूप में दर्शन दिए। दर्शक भी हजारों की संख्या में शाम चार बजे से तालाब किनारे बैठ गए और जब तक दर्शन नहीं हुए, वहां से हिले नहीं।
मेहमान बनकर आए भगवान, निकाली शोभा यात्रा श्रीदाऊजी मंदिर मुरैना गांव में दीपावली अमावस के दूसरे दिन से हर साल लीला मेला लगता है। इस बार 2 नवंबर से लीला मेला शुरू हो चुका है। पहले दिन शनिवार को बैंड बाजों के साथ शोभा यात्रा निकाली गई। रथ में सवार होकर भगवान श्रीकृष्ण व बलदाऊ के वेश में दो बालकों की महंत के घर से मंदिर तक जगह जगह पूजा अर्चना व पुष्पा वर्षा की गई। इससे पूर्व भगवान का बांसुरी बजाकर आव्हान किया गया। भगवान साढ़े तीन दिन के मेहमान बनकर दाऊजी मंदिर में विराज चुके हैं।
बालक के द्वारा हुई लीलाओं की शुरूआत भगवान के आशीर्वाद से कार्तिक मास की पूर्णिमा से अमावस के बीच स्वामी परिवार में बालक जन्म लेता है, उस बालक के द्वारा भगवान की बाल लीलाओं को प्रतीकात्मक रूप से शुरूआत कराई जाती है। इस बार कृष्णकांत स्वामी के दस दिन पूर्व बालक ने जन्म लिया है। उसी बालक के द्वारा भगवान की लीलाओं को प्रतीकात्मक रूप में शुरू कराया गया। बालक को टोकरी में रखकर दाऊजी मंदिर ले जाया गया। वहां प्रतीकात्मक रूप से लीला की शुरूआत की गई।
लीला में घोड़ी दौड़ आज लीला में सोमवार की सुबह घोड़ी दौड़ का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान मुरैना जिला सहित राजस्थान की सीमावर्ती गांवों से घोड़ी आएंगी जो दौड़ में भाग लेंगी। दूर दूर से लोग ट्रैक्टर- ट्रॉलियों से घोड़ी दौड़ देखने लीला में पहुंचते हैं।
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