गणेशी हॉस्पीटल: मेडिकल, लैब, एक्सरे नियम विरुद्ध संचालित, फिर भी कार्रवाई नहीं
– औषधि निरीक्षक को मेडिकल और चिकित्सकों की टीम को मिली हॉस्पीटल में तमाम अनियमिताएं फिर भी स्वास्थ्य महकमा व प्रशासन मौन
– अनट्रेंड स्टाफ और अनुमति से अधिक मिले पलंग, सीएमएचओ मेहरबान
– चिकित्सकों की टीम का निरीक्षण सिर्फ एक हॉस्पीटल तक सिमटा, शहर में और भी है निजी अस्पताल जिनमें तमाम अनियमितताएं व्याप्त
मुरैना. शहर की एम एस रोड पर संचालित गणेशी हॉस्पीटल में औषधि निरीक्षक को नियम विरुद्ध मेडिकल और चिकित्सकों की टीम को तमाम अनियमिताएं अस्पताल में मिली, उसके बाद भी प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई न होना मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है। सीएमएचओ को शहर सहित जिले में अन्य हॉस्पीटलों की जांच करानी थी, लेकिन सिर्फ एक ही हॉस्पीटल सिमटकर रह गई। शहर व जिले में ऐसे कई अन्य निजी अस्पताल हैं जिनमें तमाम अनियमितताएं व्याप्त हैं लेकिन कार्रवाई सिर्फ गणेशी हॉस्पीटल तक सिमट कर रह गई। यहां बता दें कि औषधि निरीक्षक को हॉस्पीटल में निरीक्षण के दौरान जिस व्यक्ति के नाम से मेडिकल संचालित था, वह व्यक्ति नहीं मिला। मेडिकल का लाइसेंस किसी और के नाम से था, चला कोई और रहा था। लाइसेंस किसी आकाश गौड़ के नाम से बताया जा रहा है, लेकिन मेडिकल को चिकित्सक के कर्मचारी ही संचालित करते मिले। इसके अलावा चिकित्सकों की टीम ने 15 अक्टूबर को गणेशी हॉस्पीटल का निरीक्षण किया, उस दौरान 44 बेड्स मिले, जबकि जिला कार्यालय द्वारा हॉस्पीटल को 30 बिस्तर के मान से पंजीयन जारी किया गया था। हॉस्पीटल की फायर एनओसी एवं इलेक्ट्रिक ऑडिट प्रपत्र प्रस्तुत किए जाने हेतु निरीक्षण दल द्वारा कहा गया, संचालक ने द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। निरीक्षण दल को हॉस्पीटल से निकलने वाले वाली मेडिकल बेस्ट के संधारण हेतु सेगरीगेशन के मान से डस्टबिन रखे नहीं मिले, जिससे मरीजों में संक्रमण फैलने खतरा संभावित होना पाया गया। हॉस्पीटल पर सेवाएं प्रदान कर रहा नर्सिंग स्टाफ निर्धारित योग्यता व मापदण्डानुसार नहीं था। अप्रशिक्षित ट्रेनी नर्सिंग स्टाफ कार्यरत था। हॉस्पीटल पर एक्स-रे मशीन बिना पंजीयन के संचालित होना पाई गई थी। सीएमएचओ ने 18 अक्टूबर को हॉपीटल संचालक को नोटिस जारी करके तीन दिन में जवाब चाहा था लेकिन संचालक द्वारा कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया, उसके बाद भी सीएमएचओ की दरियादिली देखिए कि हॉस्पीटल संचालक को अभयदान दे दिया। अभयदान देने के पीछे कई तरह की चर्चाएं सामने आ रही हैं, सच्चाई क्या है, यह तो सीएमएचओ या फिर हॉस्पीटल संचालक ही जानें। सीएमएचओ और हॉस्पीटल संचालक के बीच कुछ तो हुआ है, बिना आग के धूंआ नहीं उठता।
डिजीटल हस्ताक्षर से चला रहे लैब गणेशी हॉस्पीटल में सबसे गंंभीर मामला तो यह है कि यहां नियम विरुद्ध लैब संचालित की जा रही है। जिस पैथोलॉजिस्ट के नाम पर लैब संचालित की जा रही है, वह ग्वालियर में रहकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जबकि यहां पर उसकी डिजीटल हस्ताक्षर की सील बना रखी है जिसे जांच रिपोर्ट पर लगाकर मरीज को थमा दिया जाता है। यहां अनट्रेंड कर्मचारी ही लैब को चला रहे हैं, जो हॉस्पीटल संचालक के कृपा पात्र हैं।
शहर में 300 मेडिकल स्टोर, 50 ऐसे जो संचालित हैं नियम विरुद्ध शहर में थोक व खेरीज मिलाकर 300 के करीब मेडिकल स्टोर संचालित हैं। इनमें से 50 के करीब ऐसे मेडिकल स्टोर हैं जो नियम विरुद्ध संचालित हैं। औषधि निरीक्षक को निरीक्षण में पिछले महीने दो मेडिकल ऐसे मिले जिनमें से एक में फार्मासिस्ट नहीं मिला और दूसरे में अन्य अनियमिताएं थीं इसलिए उनका पंजीयन सात दिन के लिए सस्पेंड किया गया। 300 मेडिकल में से 50 के करीब थोक लाइसेंस वाले हैं अन्य खेरीज में संचालित हैं। इनमें से 100 मेडिकल ऐसे हैं जो शहर में संचालित निजी हॉस्पीटल, क्लीनिक व छोलाछाप के यहां खुले हुए हैं। इनमें से 50 ऐसे हैं जो मानकों को पूरा नहीं करते। औषधि निरीक्षक की कार्रवाई चंद मेडिकल सेंटर तक ही सिमट कर रह गई है। शहर के आधा सैकड़ा मेडिकल ऐसे संचालित हैं जिन पर दवा कौन बेच रहा है, किसके नाम से संचालित है, दुकान का साइज सहित अन्य मानकों को पूरा कर रहा है कि नहीं, इसकी जांच होना चाहिए लेकिन प्रोपर नहीं हो पा रही है। विप्रा टावर में भी एक मेडिकल ऐसा ही संचालित है जिसके नाम से लाइसेंस हैं, वह व्यक्ति न बैठकर कोई अन्य सेवाएं दे रहा है जो नियम विरुद्ध है। कथन
मुझे मुरैना में आए हुए कुछ ही दिन हुए हैं। मैंने फिलहाल गणेशी हॉस्पीटल में मेडिकल स्टोर का निरीक्षण किया, वहां बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल संचालित मिला। उसका पंजीयन सात दिन के लिए सस्पेंड किया था। कुछ अन्य अनियमिताएं भी मिलीं थीं, उनकी जांच की जा रही है। अन्य मेडिकलों का भी नियमित निरीक्षण किया जाएगा, कमी मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। बाबूलाल वित्थरिया, औषधि निरीक्षक, स्वास्थ्य विभाग
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