दस लाख की लागत से लगाए डस्टबिन गायब, स्वच्छता के नाम पर शासकीय धन का दुरुपयोग
– शहर की प्रमुख सडक़ों पर हर साल लगते हैं डस्टबिन, गुणवत्ता के अभाव में कुछ समय बाद टूटकर कबाड़ हो जाते हैं, कूड़ेदान
– जहां लगे हैं वहां डस्टबिन से नहीं होती सफाई
मुरैना. शहर की एम एस रोड पर दो साल में दस साल से अधिक राशि के नगर निगम द्वारा डस्टबिन लगाए गए थे लेकिन हल्की क्वालिटी के होने के कारण कुछ समय बाद ही उखडकऱ कबाड़ हो गए। उनमें से अधिकांश डस्टबिन तो आज सडक़ पर दिखाई ही नहीं दे रहे हैं। नगर निगम द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत वर्ष 2022 में 150 डस्टबिन एम एस रोड पर जगह जगह लगाए गए लेकिन कुछ महीने बाद ही वह उखड़ गए और कबाड़े मे ंबिक गए। इसके बाद मई 2023 में एम एस रोड पर 21 बड़े डस्टबिन और उसके बाद 100 छोटे डस्टबिन लगाए गए थे। इनमें से कुछ के सिर्फ बिल तैयार किए गए, धरातल पर डस्टबिन नहीं लगाए गए। एम एस रोड पर जो लगाए गए उनमें से बमुश्किल आधा दर्जन स्थानों पर ही डस्टबिन रह गए हैं, अन्य स्थानों पर कोई नामोनिशान नहीं रहा है क्योंकि वह हल्की क्वालिटी के थे और जमीन में ठीक से स्थायित्व नहीं दिया गया था। -100 मीटर की दूरी पर लगाने थे डस्टबिन नगर निगम द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत शहर की एम एस रोड पर बड़े डस्टबिन को 100 मीटर की दूरी पर लगाना तय किया गया है लेकिन वर्ष 2023 में शहर की गणेश पुरा की पुलिया क्षेत्र में एक जगह कुछ दूरी पर ही तीन बड़े डस्टबिन लगा दिए गए हैं। एक डस्टबिन पं. जाहर सिंह शर्मा की प्रतिमां के पास, दूसरा सामने हॉकर्स जोन और तीसरा कुछ ही दूरी पर गणेश पुरा मोड़ पर लगाया गया था।
एमआइसी की बिना स्वीकृति के खरीदे थे डस्टबिन शहर में स्वच्छता के नाम पर पिछली साल 21 बड़े डस्टबिन खरीदे गए हैं और 100 छोटे डस्टबिन का ऑर्डर दिया गया है, उसके लिए न तो एमआइसी और न नगर निगम की बैठक में स्वीकृति ली गई थी। स्वच्छता से जुड़े अधिकारियों ने डस्टबिन खरीदी के नाम पर खूब मनमानी की गई। जबकि नियमानुसार स्वीकृति लेने के बाद खरीदी करना चाहिए। हालांकि बाद में स्वीकृति की औपचारिकताएं पूरी कर ली गई थीं।
इसलिए उखड़ गए डस्टबिन शहर की एम एस रोड पर बड़े डस्टबिन लगाए गए, उनकी न तो गहराई ली गई और न बेस मजबूत किया गया। कुछ में तो सीमेंट कंकरीट ही नहीं लगाया गया। जिससे उसमें सामग्री डालने पर पशुओं के मुंह डालने के साथ ही उखड़ गए। इसी तरह पूर्व लगाए गए डस्टबिन भी इसी तरह उखड़ चुके हैं। उनको कचरा बीनने वाले उठाकर ले गए और कबाड़ में बेच दिए। स्वच्छता से जुड़े जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते लाखों रुपए बेकार चले गए।
इधर…..कागजों में सप्लाई हुए लाखों रुपए के कचरा वाहन नगर निगम के स्वच्छता अभियान के नाम पर एक फर्म द्वारा लाखों रुपए के कचरा वाहन कागजों में सप्लाई करने का मामला भी प्रकाश में आया है। ये कचरा वाहन शहर में कचरा संग्रहण के लिए सफाई कर्मचारियों को वितरित करने थे। कुछ कचरा वाहन के कागजों में बिल बनाकर लाखों रुपए एक फर्म ने कबाड़ लिए और कुछ सप्लाई की गई जो हल्की क्वालिटी की होने से उनमें से अधिकांश कचरा वाहन क्षतिग्रस्त भी हो चुके हैं। कथन
पूर्व में कहां कितने डस्टबिन लगाए, उसको हम जानना नहीं चाहते लेकिन अब जहां डस्टबिन लगाएं जाएंगे, उनकी जीपीएस सिस्टम के तहत फोटोग्राफी कराई जाएगी और जहां डस्टबिन लगे हैं, उनकी नियिमित सफाई करवाई जाएगी। सगीर अहमद खान, सहायक नोडल, स्वच्छता, नगर निगम
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