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मुरादाबाद

यूपी के इस गांव में वर्षों से कायम है रामराज्य, यहां आजादी के बाद से अब तक नहीं आई पुलिस

पुलिस और जनप्रतिनिधि भी यहां के नागरिकों की करते हैं तारीफ

मुरादाबादOct 23, 2018 / 02:53 pm

Iftekhar

Ramraj

यूपी के इस गांव में वर्षों से कायम है रामराज्य, यहां आजादी के बाद से अब तक नहीं आई पुलिस

रामपुर. पिछले डेढ़ साल की योगी सरकार में भले ही अब तक उत्तर प्रदेश के किसी ज़िले के किसी गांव में रामराज्य नहीं आया हो, लेकिन रामपुर ज़िले के गांव अलीपुरा में आजादी के बाद से अब तक रामराज्य कायम है। इसको लेकर ज़िले के एसपी भी गांव के लोगों के आपसी प्रेम और भाईचारे को लेकर बहुत खुश हैं। यह गांव उन लोगों के लिए एक सबक है, जो मामूली सी बात पर हिंसा करके थाना कचहरी में अपनी ज़िंदगी को नर्क बनाते हैं । ऐसे में इस गांव के लोग एक मिसाल बनकर उभरे हैं।

 

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आज़ादी के बाद से अबतक रामपुर ज़िले की तहसील स्वार टांडा के गांव अलीपुरा में रहने वाले लोगों का कोई आपास में झगड़ा नहीं हुआ। सम्बंधित थाने के सरकारी अभिलेखों में अभी तक अलीपुरा गांव के किसी भी शख्स ने गांव के किसी शख्स पर न तो कोई एनसीआर दर्ज करवाई है न ही एफआईआर। गांव के लोगों में आपसी भाईचारा है। सभी जाति वर्ग के लोग आपस में मिल जुलकर रहते हैं। किसी का भी आपस में कोई मामूली विवाद होता भी है, तो उसे गांव के लोग आपस में बैठकर निपटा लेतें हैं। यही वजह है कि यहां का कोई सख्स पुलिस थाने नहीं जाता। सीएम योगी रामराज्य लाने के लिए प्रयास कर रहें हैं, लेकिन यहां के लोगों ने पहले से ही रामराज्य बना रखा है, जो प्रदेश ही नहीं सभी देश वासियों के लिए भी एक मिसाल है।

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पांच सौ परिवारों में 100 लोग सरकारी नोकरी से चला रहे हैं परिवार
गांव में कुल पांच सौ परिवार रहते हैं , इनमें से ज्यादातर लोग सरकारी सर्विस से जुड़ें हैं। शिक्षा की दृष्टि से इस गांव को देखा जाए तो यहां का हर बेटी बेटा स्कूल पढ़ेने जाता है। यहां के 100 लोग अलग अलग विभागों में सरकारी नौकरी कर रहें हैं । इस गांव का हर मां बाप अपने बेटे-बेटियों को पढ़ा रहा है। इन लोगों की इच्छा है कि इस गाँव में आज़ादी के बाद से अब तक जो मिसाल बनी है, वह आगे तक कायम रह सकें ।

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इस गांव में रहता है शहीद का परिवार
इस गांव में शहीद का परिवार भी रहता है । उनके परिवार में कुल पांच सदस्य हैं, जो मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं । सरकार ने शहीद के परिवार की मदद के लिए एक गैस एजेंसी खुलवाई थी, जो काफी हद तक परिवार को मदद कर रही है । लेकिन शहीद के परिवार को यह मलाल है कि उनके नाम से अगर कोई गांव में सड़क बनवा दी जाती तो अच्छा होता। या उनके नाम से कोई स्कूल कॉलेज वगैराह बना देते तो यह गांव वालों के लिए किसा वरदान से कम साबित नहीं होता। बरहाल शहीद परिवार की न कोई जनप्रतिनिधि यहां कोई सुनने आता और न ही सेना का कोई अधिकारी यहां आकर उनके नाम से कोई घोषणा करते है, जिससे शहीद का नाम रौशन हो ।

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इस गांव में आज तक नही आई खाकी
इस गांव के लोगों ने यहां जो आपसी भाईचारे की मिसाल कायम की है, वह सभी के लिए एक मिसाल है। यहां के लोगों ने एक तरह से सरकारों और जनप्रतिनिधियों को भी यह बता दिया कि आप सिर्फ रामराज्य लाने की बात कहकर सत्ता हासिल कर सकतें हैं, लेकिन हमारे गांव के लोग न कभी आपस मे लड़ते हैं और न ही किसी को लड़ने के लिए उकसातें हैं। सब लोग आपस मे मिलजुलकर पहले भी रहतें थे और आज भी रह रहें हैं और उम्मीद है कि आगे भी रहेंगे।

 

सड़कों की बदहाल स्थति
गांव के लोग भले ही अपने प्रयास से आपस में भाईचारे और शांति के साथ रहते आ रहे हों। उन्होंने प्रशंसा भी खूब मिल रही है कि गांव बहुत अच्छा है, गांव के लोग बहुत अच्छे हैं। पुलिस महकमे से लेकर ज़िले के अफसरान और जनप्रतिनिधि भी गांव के लोगों की तारीफ करते नहीं थकते हैं। लेकिन सरकारी उपेक्षा की वजह से उनके गांव में गली, गलियां, नालियां बनाने और सजाने का कोई ठोस कदम नहीं उठया गया है। हालात से तंग आकर गांव के लोग सम्बंधित अफसरों के यहां लिखित शिकायत भी कर चुकें हैं। इसके बाद भी उन पर कोई काम नहीं होता। अगर अफसर जनप्रतिनिधि उनकी सड़क और नाली की शिकायत सुनकर उसका हल कर दें तो यह गांव आदर्श गांव भी बन सकता था।

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