मोहाली। रेलवे द्वारा एक्वायर की गई किसानों के जमीन के बदले उन्हें बढ़े हुए मुआवजे को न देने के आरोप में अदालत ने पंजाब के एक रेलवे स्टेशन की संपत्ति को नीलाम करने का आदेश दिया है।
अतिरिक्त सेशन जज तरसेम मंगला की अदालत ने फैसला सुनाते हुए रेलवे के तीन ट्रैक, बुकिंग व रिस्पेशन ऑफिस, रेलवे ब्रिज, एक पावर हाउस, वाटर स्टोरेज टैंक, अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग, स्टेशन सुपरिंटेंडेंट, असिस्टेंट स्टेशन व दर्जा चार रिहायशी क्वार्टर शामिल हैं। अदालत ने तीन महीने में रेलवे को भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, रेलवे ने 30 सितंबर 2005 में रेलवे स्टेशन के लिए जमीन एक्वॉयर करने की प्रक्रिया शुरू की थी। 20 मार्च 2007 में रेलवे ने एक्वॉयर की जाने वाली जमीन का अवार्ड सुनाया था। इस दौरान प्रति एकड़ जमीन के बदले किसानों को पचास लाख रुपये मुआवजा दिया गया था।
इस बीच गांव कंबाला निवासी कुछ किसानों ने मुआलजा लेने से मना कर दिया था। किसानों ने आरोप लगाया था कि रेलवे उनके साथ खेल कर रहा है। उनकी जमीन को सस्ते दामों पर खरीदा जा रहा है। जबकि उक्त जमीन की मार्केट वैल्यू करोड़ों में है। इसके बाद किसानों ने मुआवजा बढ़ाने के लिए 2007 में अदालत में केस दायर किया।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने 24 अगस्त 2013 को जमीन का मुआवजा बढ़ाकर एक करोड़ 31 लाख 22 हजार 535 रुपये प्रति एकड़ बढ़ाने के आदेश दिए थे। फैसले के बाद रेलवे ने कुछ लोगों को बढ़ी हुई राशि का भुगतान कर दिया लेकिन केस दायर करने वालों को पैसा नहीं दिया।
जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने करीब डेढ़ साल बाद रेलवे के खिलाफ फैसला सुनाया और स्टेशन की संपत्ति को नीलाम करने का आदेश दिया।
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