scriptभारत और पाकिस्तान के लिए क्यों अहम है कश्मीर का मुद्दा | Why Kashmir is important for Pakistan? | Patrika News
विश्‍व की अन्‍य खबरें

भारत और पाकिस्तान के लिए क्यों अहम है कश्मीर का मुद्दा

आजादी के समय से ही कश्मीर को लेकर भारत-पाक के बीच संघर्ष चल रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तीन बार युद्ध हो चुका है।
कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों पर भारत, पाकिस्तान और चीन का नियंत्रण है।

Jun 09, 2019 / 05:05 pm

Anil Kumar

भारत और पाकिस्तान

पाकिस्तान के लिए क्यों जरूरी है कश्मीर

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान ( Pakistan ) के बीच दशकों से, यूं कहें तो आजादी के समय से ही राजनीतिक द्वंद शुरू हो चुका था। यह राजनीतिक द्वंद धीरे-धीरे भौगोलिक लड़ाई में बदल गया और अब दोनों देशों के बीच यह द्वंद वैश्विक जगत में आत्मसम्मान की लड़ाई बन गई है। दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच केवल और केवल कश्मीर के लिए लड़ाई हो रही है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन पाकिस्तान इस पर अपना दावा करता है। लिहाजा ऐसी स्थिति में दशकों से दोनों मुल्कों के बीच संघर्ष जारी है। अब कुछ बुनियादी सवाल है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के लिए इतना अहम क्यों है? पाकिस्तान इसपर अपना दावा क्यों नहीं छोड़ता है, जबकि उसे मालूम है कि यह भारत का अभिन्न अंग है? और भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर ( PoK ) को वापस लेने में नाकाम क्यों रहा है? आइए इन्हीं सवालों के जवाब को तलाशने की कोशिश करते हैं..

जम्मू-कश्मीर

सियाचिन से आया चौंकाने वाला वीडियो, सैनिकों को हथौड़े से तोड़ने पड़ रहे अंडे और टमाटर

मुस्लिम बहुल क्षेत्र है कश्मीर

दरअसल, आजादी से पहले कश्मीर में हिन्दू राजा हरि सिंह का राज था। हरि सिंह कश्मीर ( Kashmir ) के शासक थे। सबसे बड़ी बात की इस इलाके में मुस्लिम समाज के लोगों की संख्या सबसे अधिक थी। 1947 में बंटवारे के समय हरि सिंह ने भारत या पाकिस्तान में शामिल होने के बजाए स्वतंत्र रहने का फैसला किया। इस बीच पाकिस्तान ने कश्मीर में अपना कब्जा जमाने के लिए सेना भेज दी। इससे डरकर हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी। इसपर भारत ने कुछ शर्तें रखी और फिर हरि सिंह की मदद की। इस तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच 1947-48 में पहली बार युद्ध हुआ। तब से लेकर अबतक पाकिस्तान यह चाहता रहा है कि कश्मीर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, इसलिए यह पाकिस्तान का हिस्सा है। चूंकि पाकिस्तान का जन्म ही धर्म की बुनियाद पर हुआ है।

अमरीका और चीन के बीच सुधर सकते हैं संबध, 28 जून को शी जिनपिंग के साथ बैठक करेंगे डोनाल्ड ट्रंप

कश्मीर पर तीन देशों का नियंत्रण

कश्मीर समस्या का समाधान निकालने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप करने की मांग की। इस पर संयुक्त राष्ट्र ( United Nation ) ने दोनों देशों के बीच सहमति बनाने की कोशिश की और फिर सीजफायर की बात कही। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीरी आवाम से वोट करने की बात कही कि वे किसके साथ रहना चाहते हैं। इसपर भारत के पक्ष में वोट जाता देख पाकिस्तान ने 1949 में सीजफायर की बात मानी और इस तरह से एक विवादास्पद सीमा का निर्धारण किया गया जो कि लाइन ऑफ कंट्रोल ( LOC ) के नाम से जाना जाता है। 1965 और 1999 में एक बार फिर से भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, जिसमें पाकिस्तान बुरी तरह से प्रास्त हुआ। मौजूदा समय में कस्मीर की 65 फीसदी क्षेत्र में भारत का नियंत्रण है। मौजूदा स्थिति में कश्मीर पर तीन देश अपना दावा पेश कर रहे हैं और कई हिस्सों पर नियंत्रण भी है। मसलन भारत का जम्मू, कश्मीर वैली, लद्दाख ( Ladakh ) और सियाचीन गलेशियर ( Siachen Glacier ) जबकि पाकिस्तान आजाद कश्मीर, गिलगिट-बाल्टिस्तान ( Gilgit-Baltistan ) पर नियंत्रण है। वहीं चीन ने भी कुछ हिस्सों पर जबरन कब्जा कर रखा है। चीन का डेमचौक जिला शाक्सगम वैली ( Shaksgam Valley ) और अक्साई चीन ( Aksai Chin ) क्षेत्र पर नियंत्रण है।

भारत-पाक झंडा

इमरान खान की पीएम मोदी को चिट्ठी के बाद अमरीका की पाक को नसीहत, ‘आतंकियों को बाहर करने से हासिल होगी क्षेत्रीय शांति’

पाकिस्तान के लिए क्यों है अहम?

कश्मीर पाकिस्तान के लिए एक नहीं बल्कि कई मायनों में अहम है। पहला- प्रतिष्ठा की लड़ाई। कश्मीर पाकिस्तान के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। वह किसी भी कीमत पर वैश्विक जगह में हार स्वीकार नहीं करना चाहता है। दूसरा- आतंकवाद को छिपाने की जगह। पूरी दुनिया में पाकिस्तान एक टेरर स्टेट के तौर पर जाना जाता है। कश्मीर के जिस हिस्से पर पाकिस्तान का नियंत्रण है, वहां से आतंकी गतिविधियों को चलाना आसान है। इसलिए पाकिस्तान नहीं चाहता है कि ये हिस्सा भारत को चला जाए। जितने भी पाकिस्तानी आतंकियों के अड्डे हैं वह सब PoK में स्थित है। हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-तौएबा, जम्मू-कस्मीर लिबरेशन फ्रंट आदि तमाम आतंकी संगठन अपने आतंकी गतिविधियों को छुपाने के लिए कश्मीर की आजादी की बात करते हैं। तीसरा- धार्मिक जिहाद। पाकिस्तान लगातार यह दलील देता रहा है कि भारत कश्मीरियों के साथ बुरा व्यवहार करती है। इसलिए कश्मीरियों को बचाने के लिए पाकिस्तान लडाई लड़ रहा है। जबकि हकीकत इससे उलट है। कश्मीर में धार्मिक जिहाद को बढ़ावा देकर भारत को अस्थिर करने व कट्टरता और इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान इसपर अपना दावा जता रहा है। चौथा- चीन के साथ कनेक्टिविटी। दरअसल, चीन पाकिस्तान का परम मित्र समझा जाता है। पाकिस्तान को हर तरीके की मदद चीन की ओर से मिलता है। इसे यूं समझे कि भारत को अस्थिर करने के लिए चीन की ओर से पाकिस्तान की मदद की जाती है। PoK के जरिए पाकिस्तान और चीन का जमीनी स्तर से जुड़ाव है। दोनों देश सीधे-सीधे भारत के खिलाफ रणनीति बना सकते हैं। इसका ताजा उदाहरण चीन का BRI और OBOR प्रोजेक्ट है, जो कि Pok से होकर गुजर रहा है। इस पर भारत ने आपत्ति भी दर्ज कराई है। यदि PoK पर पाकिस्तान का दावा खत्म हो जाता है तो चीन और पाकिस्तान के बीच दूरियां बढ़ जाएगी, जिससे कि पाक के लिए शुभ नहीं होगा। पांचवा- पाकिस्तान के आतंरिक हालात। पाकिस्तान के आतंरिक हालात ठीक नहीं है। इससे दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए कश्मीर का रोना रोया जाता है। पाकिस्तान के बलुचिस्तान, खैबरपख्तूनख्वा, मुर्शिदाबाद व अन्य कबिलाई इलाकों में लोगों के हालात काफी खतरनाक हो चुका है। लोग पाकिस्तान के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं और आजादी का स्वर बुलंद कर रहे हैं। इसे दबाने और इससे दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए पाक कश्मीर राग अलापता रहता है और किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता है।

आकाश में दुश्मनों को शिकस्त देने के लिए भारत अगले महीने करेगा अपना पहला ‘अंतरिक्ष युद्धाभ्यास’

भारत के लिए क्यों है अहम?

कश्मीर को भारत का मुकुट कहा गया है। आजादी से ही कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है। हालांकि अब बदले हुए परिस्थिति में ये जानना जरूरी है कि कश्मीर भारत के लिए इतना अहम क्यों है? इसके एक नहीं कई अहम मायने है। पहला- आंतरिक सुरक्षा। भारत की आतंरिक सुरक्षा के लिए कश्मीर बहुत अहम है। चूंकि जिस हिस्से में पाक का कब्जा है उसमें आतंकवादियों का ठिकाना है जो भारत को अस्थिर करने और विकास की गति को प्रभावित करने के लिए काम करता रहता है। इससे निपटने के लिए जरूरी है कि पूरे कश्मीर पर भारत का नियंत्रण हो। दूसरा- दक्षिण एशियाई देशों से जमीनी संपर्क। भारत के विकास के लिए जरूरी है कि दक्षिण एशियाई देशों के साथ जमीनी संपर्क बना रहे। मौजूदा परिस्थिति में ऐसा नहीं है। दरअसल, अफगानिस्तान के रास्ते भारत बाकी दक्षिण एशियाई राष्ट्रों से सीधे जुड़ सकता है, लेकिन अभी के हालात के मुताबिक ऐसा संभव नहीं है। चूंकि कश्मीर के जिस हिस्से से अफगानिस्तान की सीमा सटती है वह Pok में पड़ता है। इसलिए भारत वह दक्षिण एशियाई राष्ट्रों के बीच अभी हवाई संपर्क है, जमीनी संपर्क नहीं। हालांकि भारत ने जमीनी रास्ते से संपर्क बनाने के लिए कुछ कदम आगे बढ़ाए हैं। तीसरा- प्राकृतिक संपदा। भारत की जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है। इसे पूरा करने के लिए कश्मीर बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकता है। दरअसल, कश्मीर घाटी में ग्लेशियर और साफ पानी जैसे प्राकृतिक संपदा का भंडार है। भारत इसका इस्तेमाल बिजली उत्पादन और सिंचाई परियोजनाओं को सफल बनाने में कर सकता है। इससे बिजली संकट और सिंचाई की समस्या को हल किया जा सकता है। पाकिस्तान भी बिजली संकट से जूझ रहा है और ऐसे में पाकिस्तान भी इस संपदा को नहीं छोड़ना चाहता है। चौथा- भारत की प्रतिष्ठा। जिस तरह से कश्मीर पाकिस्तान के लिए प्रतिष्ठा का विषय है, वैसे ही भारत के लिए भी एक प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। भारत एक विशाल देश है और ऐसे में एक छोटे से देश से हार मान जाए ये संभव नहीं है। क्योंकि कश्मीर के मुद्दे से भारत की सियासत भी बहुत हद तक तय होती है।

जम्मू-कश्मीर

‘एक्शन मोड’ में पाकिस्तान, FATF के डर से हाफिज सईद और मसूद अजहर पर की कार्रवाई

भारत अब तक नाकाम क्यों रहा है?

दशकों पहले भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद का विषय बना कश्मीर समस्या का समाधान अब तक नहीं हो सका है। आखिर भारत सैन्य बल व राजनीतिक तौर पर ताकतवर होते हुए भी कश्मीर समस्या का समाधान करने में सफल क्यों नहीं हो सका? क्यों नहीं अब तक PoK को वापस ले सका है? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। पर सबसे बड़ी बात जो है वह है अंतर्राष्ट्रीय संबंध और दबाव। भारत विकसित देशों की श्रेणी में आने को दस्तक दे रहा है। ऐसे में पाकिस्तान पर सैन्य दबाव बनाकर Pok को हासिल करने का जोखिम नहीं उठा सकता है। क्योंकि इससे विश्व विरादरी में एक नाकारात्मक संदेश जाएगा और फिर विश्व के कई देशों के साथ भारत के संबंध खराब हो सकते हैं। दूसरा कारण यह हो सकता है कि भारत की आंतरिक राजनीति इस पर हावी रहा है। कश्मीर मुद्दे के समाधान के बजाए इसका सियासी फायदा कैसे उठाया जाए इसपर भारत के राजनीतिक दलों का जोर रहा है। लिहाजा हर चुनाव में कश्मीर का मामला छाया रहता है, लेकिन समाधान की दिशा में हम आगे नहीं बढ़ सके हैं। तीसरा कारण यह भी हो सकता है कि कश्मीर समस्या के समाधान के लिए किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप भारत को स्वीकार नहीं है। भारत चाहता है कि कश्मीर समस्या का समाधान द्विपक्षीय वार्ता के जरिए ही किया जाए। लेकिन पाकिस्तान इस मसले को बार-बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर भारत के मंसूबों पर पानी फेर देता है।

 

 

Read the Latest World News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले World News in Hindi पत्रिका डॉट कॉम पर. विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर.

Hindi News / World / Miscellenous World / भारत और पाकिस्तान के लिए क्यों अहम है कश्मीर का मुद्दा

ट्रेंडिंग वीडियो