यूएनएससी में यह प्रस्ताव पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा लाया गया है। बता दें कि पुलवामा हमले के बाद जैश ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। पठानकोट आतंकी हमले के बाद से मसूद अजहर के खिलाफ यह प्रस्ताव चौथी बार लाया गया है। हर बार चीन ने तकनीक आधार इस प्रस्ताव का विरोध किया है। इसके पीछे चीन का तर्क है कि मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने के पर्याप्त सबूत नहीं है।
यूएन में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी का इस बारे में कहना है कि अगर साइलेंस पीरियड जोन में सुरक्षा परिषद का कोई भी सदस्य आपत्ति उठाता सकता है। यह पीरियड आज समाप्त हो जाएगा। समय समाप्त होने तक किसी ने आपत्ति नहीं जताई तो मसूद अजहर को 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल कर लिया जाएगा। यानी उसे यूएन प्रतिबंध समिति द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि इन दिनों भारत के विदेश सचिव विजय गोखले अमरीकी दौरे पर हैं। गोखले ने वहां के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और सहायक विदेश मंत्री डेविड हेल से मुलाकात की है। दोनों नेताओं ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का साथ देने का वादा किया है। इतना ही नहीं मसूद को आतंकी घोषित कराने को लेकर अमरीका खुद सक्रिय है। अमरीका तीन प्रस्तावकों में से एक है।