मनमोहन भंडारी वर्ष 2003 में चीन गए थे। उस समय उन्होंने चीन में योग सिखाना शुरू किया तो लोगों को इसकी ज्यादा जानकारी नहीं थी। उन्हें ये भी लगता था कि योग की शुरुआत अमरीका में हुई है, क्योंकि तब वहां जो भी लोग योग सिखा रहे थे, वो पश्चिमी देशों से आए थे। उनके लिए चीन पहुंचना गेमचेंजर साबित हुआ। एक बार योग का काम शुरू करने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अंतरराष्ट्रीय फैशन मैगजीन की चीन संस्करण की पूर्व संपादक यिन यान उनकी पत्नी हैं। यिन ऋषिकेश स्थित योग गुरु आयंगर के आश्रम में योग सीखने आईं थी। तभी उन्हें भंडारी से प्यार हो गया। ऋषिकेश में न केवल उनके जीवन की आध्यात्मिक यात्रा को बदल दिया बल्कि जीवन को भी।
यिन जब भंडारी के साथ चीन लौटीं तो उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर देश के सबसे प्रसिद्ध योगी योगा एकेडमी की शुरुआत की। उनके इस पहल को भारत-चीन सांस्कृतिक संयुक्त उपक्रम के रूप में भी देखा जाता है। आज से आठ साल पहले इस एकेडमी की कमाई चार मिलियन डॉलर थी। तब से लेकर अब तक चीन में न केवल इस एकेडमी में आने वाले ट्रेनीज की संख्या में बढोतरी हुई है बल्कि कई शहरों में सेंटर भी और खुल चुके हैं। अब उनकी कमाई कई गुना हो गई है।
मनमोहन भंडारी बीजिंग में योगी योगा एकेडमी के मुख्य केंद्र पर रोज सूर्यनमस्कार के साथ अन्य आसन चीनियों को सिखाते हैं। गायत्री मंत्र के साथ केंद्र में ध्यान योग का सत्र भी चलता है। चार साल पहले जब संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया, तब से चीन में इसे सीखने वालों की संख्या जबरदस्त तरीके से बढ़ी है। भंडारी के केंद्र में योगा सीखने के लिए आने वालों में लेखक, प्रोफेशनल और छात्र सभी शामिल हैं। ये चीन में पिछले कुछ सालों से काफी लोकप्रिय हुआ है। चीन में भौतिकता के साथ साथ योग के प्रति भी लोगों का रुझान भी बढ़ा है।
आपको बता दें कि भारतीय योग लीजेंड बीकेएस आयंगर ने चीन में उनके केंद्र का दौरा किया। वो खुद भंडारी के योग केंद्रों में चीनियों की संख्या देखकर प्रभावित हुए। भंडारी खुद आयंगर के ही शिष्य रहे हैं। वो उत्तराखंड के रहने वाले हैं लेकिन अब लंबे समय से चीन में ही रह रहे हैं। वो साल में एक बार भारत जरूर आते हैं। 2017 में चीन योग इंडस्ट्री डेवलपमेंट रिपोर्ट के अनुसार चीन में 10,800 योगा स्कूल हैं। इनमें से कुछ में हजारों छात्र योग का प्रशिक्षण लेते हैं।