ICJ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है। इसलिए अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और फिर से मामले की सनवाई शुरू हो।
बता दें कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में जाधव को आतंकवाद फैलाने और जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है। भारत ने इसपर आपत्ति दर्ज कराते हुए अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पाकिस्तान को फटकार लगाई है।
कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान को करारा झटका, ICJ ने फांसी पर लगाई रोक, मिलेगा काउंसलर एक्सेस
ICJ के अध्यक्ष न्यायाधीश अब्दुलकवी अहमद यूसुफ ने फैसला पढ़ते हुए कहा पाकिस्तान अपने फैसले की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करे। बता दें कि 16 सदस्यों की बेंच ने 15-1 से भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है।
करीब 2 साल से इस मामले की सुनवाई चल रही थी। इसी साल फरवरी में दोनों पक्षों की ओर से पेश किए गए दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
फैसले के प्रमुख बिंदु
– सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने देखा कि कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस से वंचित रखा गया है। पाकिस्तान से कहा गया कि जाधव को काउंसलर एक्सेस दिया जाए। इससे पहले पाकिस्तान ने जाधव के लिए भारत की काउंसलर एक्सेस की मांग को ठुकरा दिया था।
– ICJ ने बुधवार को कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी।
– ICJ ने जाधव की फांसी पर रोक लगाते हुए पाकिस्तान से कहा कि मौत की सजा की समीक्षा करें। सुनवाई के दौरान, पाकिस्तान के वकील खावर कुरैशी ने कहा कि राहत के लिए भारत के दावे को अस्वीकार्य घोषित किया जाना चाहिए।
ICJ के इन 16 जजों ने किया कुलभूषण जाधव की किस्मत का फैसला
– ICJ ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत को जाधव के साथ बातचीत करने के अधिकार से वंचित कर दिया। इससे काउंसलर एक्सेस के मामले में वियना कन्वेंशन के मानदंडों के तहत दायित्वों का उल्लंघन हुआ है।
– कोर्ट ने सुनवाई के दौरान भारत की कई मांगों को खारिज कर दिया। इसमें जाधव की रिहाई की मांग भी शामिल है।
– अदालत की 16 जजों की बेंच ने 15-1 से फैसला सुनाया है। फैसले पर वोटिंग में केवल पाकिस्तान के जतस्सदुक हुसैन जिलानी ने भारत के खिलाफ वोट किया है, जबकि ऑस्ट्रेलिया के जज जेम्ल रिचर्ड क्रॉफोर्ड ने आलोचनात्मक होने के बाद भी भारत के पक्ष मत दिया।
– ICJ अध्यक्ष अब्दुलकवी अहमद यूसुफ, ICJ उपाध्यक्ष शू हांकिन (चीन), जस्टिस मोहम्मद बेनौना (मोरक्को), जस्टिस एंटोनियो ऑगस्टो ट्रिनडाडे (ब्राजील), जस्टिस पीटर टॉमका (स्लोवाकिया), जस्टिस यूजी इवसावा (जापान), जस्टिस पैट्रिक लिप्टन रॉबिनसन (जमैका), जस्टिस जेम्ल रिचर्ड क्रॉफोर्ड (ऑस्ट्रेलिया), जस्टिस जूलिया सेबुटिंडे (यूगांडा), जस्टिस किरिल गेवोर्जिअन (रूस फेडरेशन), जस्टिस नवाज सलाम (लेबनान), जस्टिस दलवीर भंडारी (भारत), ने फैसले का समर्थन किया जबकि पाकिस्तान के एड हॉक जस्टिस तस्सदुक हुसैन जिलानी ने फैसले के विरोध में वोट किया।
– जिलानी ने अपने असहमति नोट में लिखा कि वियना संधि जासूसों पर लागू नहीं होती। उन्होंने अपने नोट में लिखा है कि भारत ने अधिकारों का नाजायज फायदा उठाने का प्रयास किया है।
– बुधवार को ICJ ने भारत के पक्ष में सात फैसले दिए और जिलानी ने इन सातों पर अपनी असहमति जताई।
– ICJ के फैसले को मानने के लिए पाकिस्तान बाध्य नहीं है। अब ऐसे में यदि पाकिस्तान ICJ के फैसले को नहीं मानता है तो फिर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपील कर सकता है।
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