पोम्पियो ने शुक्रवार को एक ट्वीट करते हुए लिखा ‘हम चीन के साथ हालिया टकराव के परिणामस्वरूप शहीद हुए जवानों के प्रति भारत के लोगों के लिए अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। हम सैनिकों के परिवारों, प्रियजनों और समुदायों को याद रखेंगे, क्योंकि वे दुःखी हैं।’
India China Standoff: चीन की फिर नई चाल! अब बुलडोजर से गलवान नदी का पानी रोकने की कोशिश
अमरीका के हवाई में माइक पोम्पियो और चीनी विदेश मंत्री यांग यी ( Chinese Foreign Minister Yang Yi ) के बीच हुआ वार्ता में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) के पास भारत-चीन के बीच हुई हिंसक झड़प का मुद्दा उठा या नहीं इस साथ संबंध में विदेश मंत्रालय ने कोई जानकारी नहीं दी।
एक दिन पहले व्हाइट हाउस ( White House ) ने कहा था कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( President Donald Trump ) को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़पों की जानकारी है। बता दें कि बीते 15 जून, सोमवार की शाम को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी ( Galwan Valley ) में चीनी और भारतीय सेना की बीच झड़प हो गई थी, जिसमें चीन के 40 से अधिक जवान या तो घायल हुए या मारे गए। वहीं भारत केे 20 जवान शहीद हुए।
चीन के साथ संबंधों की समीक्षा करने को मजबूर मोदी
भारत-चीन के बीच अधिक से अधिक आर्थिक साझेदारी और भागीदारी है, लेकिन अब हाल के घटना के बाद पीएम मोदी उन संबंधों की समीक्षा करने को मजबूर हैं। ऐसे समय में जब चीन-अमरीका संबंध भी बिगड़ गए हैं। भारत एक गुटनिरपेक्ष राष्ट्र ( Non-aligned nation ) के रूप में हमेशा विदेश नीति ( Foreign Policy ) के मामलों में एक स्वतंत्र नीति बनाए रखते हुए महाशक्तियों के प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश की है।
हालांकि पिछले दो दशकों में नई दिल्ली ने वाशिंगटन ( America-India Relation ) के साथ घनिष्ठ राजनीतिक और रक्षा संबंध बनाए हैं और संयुक्त राज्य अमरीका भारत के शीर्ष हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक बन गया है। बीजिंग ( Bijing ) के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर, अमरीका और उसके सहयोगियों जैसे जापान ( Japan ) से चीन के खिलाफ आर्थिक और सैन्य ताकत का सामना करने में मदद के लिए कई शीर्ष भारतीय राजनयिक आवाज उठा रहे हैं।
चीन से तनाव के बीच राम मंदिर निर्माण योजना हुई निलंबित, न्यास ने कहा- पहले देश की सुरक्षा
पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव ने एक लेख में कहा है कि भारत के लिए यह एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार के रूप में अमरीका के साथ अपने हितों को अधिक मजबूती से और असमान रूप से रेखांकित करने और जापान, ऑस्ट्रेलिया व आसियान ( ASEAN ) के साथ संबंधों में अधिक ऊर्जा भरने का एक अवसर है।