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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीनी अधिकारी कॉमिरनाटी नाम की वैक्सीन को बूस्टर डोज के रूप में उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं। गौरतलब है कि चीन ने 140 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का दावा किया है।
इस वैक्सीन का उपयोग आमतौर पर अमरीका और यूरोप में किया जा रहा है, लेकिन फोसुन के पास चीन में वैक्सीन के निर्माण और वितरण का प्रमुख अधिकार है। बायोएनटेक की वैक्सीन मौजूदा समय में चीनी सरकार की अनुमति का इंतजार कर रही है। ये टीका वायरस वायरस के प्रति 95 प्रतिशत तक प्रभावशाली है।
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चीनी वैक्सीन लगाने वाले देशों में संक्रमण में उछाल के बाद फैसला
चीन ने बूस्टर डोज देने का फैसला ऐसे समय पर लिया, जब मंगोलिया, सेशेल्स और बहरीन जैसे देशों में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इन देशों में चीन की वैक्सीन लगाई गई है। दरअसल चीनी टीके कोरोना वायरस से लड़ने में 50 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक प्रभावी हैं। ये मॉडर्ना और फाइजर टीकों की तुलना में कम प्रभावी हैं।
नए वेरिएंट पर कारगर नहीं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन में निर्मित वैक्सीन कोरोना वायरस के नए वेरिएंट को रोकने में सक्षम नहीं है। एक डाटा ट्रैकिंग प्रोजेक्ट ‘आवर वर्ल्ड इन ट्रैकिंग’ के अनुसार चीन कोरोना से निपटने में दस सबसे पिछड़े देशों में शामिल है।