अमरीकी प्रतिबंधों का सीधा असर भारत पर पड़ने वाला है। इसके दायरे में जमीन से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी के पांच एस-400 मिसाइल प्रणाली भी आता है। भारत यह मिसाइल रूस से खरीदना का समझौता पहले ही कर चुका है। इसका मकसद देश की सैन्य क्षमता में इजाफा करना है। यह प्रणाली चीन द्वारा विकसित किए जा रहे बैलिस्टिक मिसाइल और स्टेल्थ विमान को नाकाम करने में बेहद सक्षम है।
दरअसल यह स्थिति रूस पर रक्षा सौदों के निर्यात पर अमरीकी प्रतिबंधों की वजह से उत्पन्न हुई है। जबकि भारत-अमरीका संबंध अब तक के सबसे बेहतर दौर से गुजर रहा है। अमरीका पूरे दक्षिण एशिया में नई दिल्ली के प्रगाढ़ होते संबंधों का समर्थन करता है। दक्षिण तथा मध्य एशियाई मामलों की प्रमुख उप सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने बीते 19 अप्रैल को कहा था कि भारत और अमरीका के बीच सामरिक भागीदारी कानून व्यवस्था को बनाए रखने तथा मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार जैसी साझा प्रतिबद्धताओं पर आधारित है। वेल्स का कहना है कि हमारा मकसद भारत को दंडित करना नहीं है। लेकिन रूस को नियंत्रित करने के लिए ट्रंप जिस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं उसकी जद में भारत भी आ गया है। इसके बावजूद अमरीका भारत के साथ सामरिक साझेदारी कानून व्यवस्था, नौवहन की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक मूल्यों तथा मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार को बनाए रखने की साझा प्रतिबद्धताओं पर दृढ़ता से कायम है। रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग को विस्तारित करते रहने की हमारी योजना है साथ ही हम क्षेत्र भर में भारत के बढ़ते संबंधों का समर्थन करते है।