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अमरीकी प्रतिबंध से भारत-रूस के बीच 6 अरब डॉलर के रक्षा सौदे पर लग सकता है ब्रेक

ट्रंप की इस नीति से रक्षा तैयारियों को लेकर भारत की रूस सहित अन्‍य साझेदार देशों से हथियार खरीद की योजना पर ग्रहण लग सकता है।

Apr 25, 2018 / 01:30 pm

Dhirendra

s-400 missile system
नई दिल्ली। हथियारों की निर्यात पर अमरीकी प्रतिबंध से भारत और रूस के बीच हुए 6 अरब डॉलर के सौदे पर ग्रहण लग सकता है। एशिया में अमरीका के दूसरे साझेदार देशों के साथ भारत की हथियार खरीद की प्रक्रिया पटरी से उतर सकती है। रक्षा जानकारों का कहना है कि यह स्थिति अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पिछले साल अगस्त में एक कानून पर हस्ताक्षर करने की वजह से उत्‍पन्‍न हुई है। इस कानून में यह प्रावधान है कि जो कोई देश रूस के साथ रक्षा और खुफिया क्षेत्रों में सौदा करेंगे उन्हें प्रतिबंध झेलने के लिए तैयार रहना होगा। ट्रंप का इस कानून को बनाने के पीछे का मकसद अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन को दंडित करना है। यह कदम अमरीका ने सीरियाई गृहयुद्ध, यूक्रेन के 2014 अपराध परिशिष्ट और 2016 में संपन्न हुए अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस की भूमिका को ध्‍यान में रखते हुए उठाया है।
एस-400 मिसाइल की खरीद खटाई में
अमरीकी प्रतिबंधों का सीधा असर भारत पर पड़ने वाला है। इसके दायरे में जमीन से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी के पांच एस-400 मिसाइल प्रणाली भी आता है। भारत यह मिसाइल रूस से खरीदना का समझौता पहले ही कर चुका है। इसका मकसद देश की सैन्‍य क्षमता में इजाफा करना है। यह प्रणाली चीन द्वारा विकसित किए जा रहे बैलिस्टिक मिसाइल और स्टेल्थ विमान को नाकाम करने में बेहद सक्षम है।
सबसे बेहतर दौर में है भारत-अमरीका संबंध
दरअसल यह स्थिति रूस पर रक्षा सौदों के निर्यात पर अमरीकी प्रतिबंधों की वजह से उत्‍पन्‍न हुई है। जबकि भारत-अमरीका संबंध अब तक के सबसे बेहतर दौर से गुजर रहा है। अमरीका पूरे दक्षिण एशिया में नई दिल्ली के प्रगाढ़ होते संबंधों का समर्थन करता है। दक्षिण तथा मध्य एशियाई मामलों की प्रमुख उप सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने बीते 19 अप्रैल को कहा था कि भारत और अमरीका के बीच सामरिक भागीदारी कानून व्यवस्था को बनाए रखने तथा मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार जैसी साझा प्रतिबद्धताओं पर आधारित है। वेल्स का कहना है कि हमारा मकसद भारत को दंडित करना नहीं है। लेकिन रूस को नियंत्रित करने के लिए ट्रंप जिस प्रस्‍ताव पर हस्‍ताक्षर किए हैं उसकी जद में भारत भी आ गया है। इसके बावजूद अमरीका भारत के साथ सामरिक साझेदारी कानून व्यवस्था, नौवहन की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक मूल्यों तथा मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार को बनाए रखने की साझा प्रतिबद्धताओं पर दृढ़ता से कायम है। रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग को विस्तारित करते रहने की हमारी योजना है साथ ही हम क्षेत्र भर में भारत के बढ़ते संबंधों का समर्थन करते है।

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