आयुष्मान कार्ड के बैगर डॉक्टरों ने नहीं किया इलाज
स्थानीय मीडिया रपटों में मंगलवार को कहा गया है कि डायरिया से पीड़ित 80 वर्षीय रीता देवी को सोमवार को उसका बेटा भक्तु रबिदास एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर लेकर गया, जहां डॉक्टरों ने उससे आयुष्मान कार्ड की मांग की। रबिदास को आयुष्मान कार्ड बनाने में छह घंटे का समय लग गया और जब वह कार्ड लेकर अस्पताल पहुंचा, तबतक उसकी मां की मृत्यु हो चुकी थी।
6 घंटे में बना कार्ड, इंतजार में मर गई महिला
पीड़िता के बेटे रबिदास ने मंगलवार को स्थानीय मीडिया से कहा कि वह अपनी मां को सोमवार को इलाज के लिए अस्पताल गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उससे केंद्र सरकार के एक स्वास्थ्य संबंधी योजना के तहत जारी आयुष्मान कार्ड की मांग की। रबिदास करीब छह घंटे के बाद कार्ड बनवाकर अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां पहुंचने पर उसे अपनी मां के निधन की खबर मिली। रबिदास ने कार्ड को फाड़कर फेंक दिया और अपनी मां के शव को गांव ले आया।
डॉक्टर बोले- लापरवाही हुई होगी तो कार्रवाई होगी
महिला की मौत पर एमजीएम के उपाधीक्षक डॉ. नकुल चौधरी ने स्थानीय मीडिया को दिए बयान में कहा कि मरीज का इलाज पहले करना चाहिए था। अगर महिला का निधन किसी की लापरवाही के कारण हुआ है, तो इस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
झारखंड में ही पीएम 48 घंटे पहले ही लॉन्च की योजना
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रांची में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना(एबी-पीएमजेएवाई) लांच की। इस योजना को ‘सरकार द्वारा वित्तपोषित दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कार्यक्रम’ बताया जा रहा है। योजना को लांच करते हुए मोदी ने कहा कि इस योजना के लाभुक यूरोपीय संघ की कुल आबादी और अमेरिका, कनाडा व मेक्सिको की सम्मिलित आबादी के बराबर हैं। मोदी ने कहा कि 50 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचाने वाली यह योजना चिकित्सा और समाज विज्ञानियों के लिए एक शोध का विषय है और दुनिया के लिए एक अनुकरणीय मॉडल है। उन्होंने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में एबी-पीएमजेएवाई की घोषणा की थी।