BIG NEWS: नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर बड़ा खुलासा, इन पर लागू होता है कानून… दरअसल यह मामला है असम के गुवाहाटी का। बुधवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक 50 वर्षीय महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जो अपनी नागरिकता वापस पाने के लिए अदालत पहुंची थी। अदालत ने उसके द्वारा माता-पिता के नाम लिखे पैन कार्ड, वोटर कार्ड समेत 15 दस्तावेज पेश किए, लेकिन अदालत ने इनके आधार पर उसे नागरिकता देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
CAA vs NRC: जानिए क्या है दोनों में अंतर, क्या आपको है परेशान होने की जरूरत गुवाहाटी हाईकोर्ट में जस्टिस मनोजीत भूयन और जस्टिस पार्थिवज्योति सैकिया की बेंच ने जाबेदा बेगम की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह पेश किए गए माता-पिता और भाई से अपना संबंध साबित करने में विफल रही।
याचिकाकर्ता जाबेदा बेगम द्वारा फॉरेन ट्रिब्यूनल के जरिये अदालत के सामने जो 15 दस्तावेज पेश किए गए, उनमें पैन कार्ड, राशन कार्ड, दो बैंक पासबुक, उसके पिता जाबेद अली की एनआरसी डिटेल, वो मतदाता सूचियां जिनमें उनके दादा-दादी, माता-पिता के साथ उसका और उसके पति का नाम छपा हुआ था समेत कई भू-राजस्व रसीदें शामिल थीं।
असम में अपनी नागरिकता साबित करने और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) में नाम जोड़ने के लिए आवेदकों को मार्च 1971 से पहले जारी किया गया 14 में से कोई एक दस्तावेज दिखाना है।
बड़ी खबरः आईटीबीपी कैंप में रखे गए वुहान से भारत लौटे 406 हिंदुस्तानियों के लिए कोरोना वायरस को लेकर बड़ी खबर हालांकि जाबेदा बेगम ने अपने पिता के 1966 से जुड़े दस्तावेज भी दिखाए थे, लेकिन विदेशी न्यायाधिकरण ने अपने पिता से संबंध साबित न कर पाने के चलते 2018 में महिला को विदेशी घोषित कर दिया था। बुधवार को अदालत ने भी न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा।
वहीं, जन्म प्रमाण-पत्र की गैर-मौजूदगी में महिला ने अपने गांव के प्रधान द्वारा दिया गया सर्टिफिकेट जमा किए था, जिसमें उसका नाम, जन्म स्थान और माता-पिता का नाम लिखा हुआ था। हालांकि इसे भी ना तो न्यायाधिकरण और ना ही हाई कोर्ट ने स्वीकार किया।