आइए हम आपको बताते हैं शास्त्री जी से जुड़ीं 10 प्रमुख बातें, जो देश के सभी नागरिकों के लिए जानना जरूरी है। 1. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था। शास्त्री जब डेढ़ साल के थे तभी उनके पिता जी का निधन हो गया था।
2. पिता शारदा प्रसाद के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री जी चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिया गया। ताकि वो उच्च शिक्षा हासिल कर सकें। उन्हें लोग घर में प्यार से नन्हे नाम से पुकारते थे। लाल बहादुर कई मील की दूरी नंगे पांव चलकर स्कूल पहुंचते थे। जब वह केवल 11 वर्ष के थे तो उन्होंने देश के कुछ करने का मन बना लिया था।
Unlock 5.0 : अमरीका और ब्रिटेन में स्कूल खुलने से बढ़े कोरोना के मामले, भारत में इस बात पर जोर 3. इसका असर पांच साल बाद 16 की उम्र में दिखा। उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन शामिल है।
4. बाद में लाल बहादुर काशी विद्यापीठ में शिक्षा प्राप्त करने के लिए दाखिल हुए। विद्यापीठ की ओर से उन्हें स्नातक की डिग्री दी गई। डिग्री का नाम ‘शास्त्री’ था। इसके बाद शास्त्री शब्द उनके नाम के आगे हमेशा के लिए जुड़ गया। तभी से उनका पूरा नाम लाल बहादुर शास्त्री हो गया।
5. महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के चलते उन्हें 7 वर्षों की जेल की सजा सुनाई गई। ये 7 वर्ष उन्होंने ब्रिटिश जेलों में बिताए। 6. देश आजाद होने के बाद लाल बहादुर शास्त्री जी 1951 में नई दिल्ली आ गए। नेहरू के साथ काम करते हुए रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री भी रहे।
कठिन संघर्ष से देश के सर्वोच्च नागरिक बने Ramnath Kovind, ठुकरा दी थी आईएएस की नौकरी 7. पंडित जवहर लाल नेहरू के मृत्यु के उपरांत वह 1964 में देश के प्रधानमंत्री बने। उनके शासनकाल में 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। उस समय देश में भयंकर सूखा पड़ा। देश को अनाज के लिए अमरीका या अन्य किसी देश के आगे हाथ न फैलाना पड़े, इसके लिए उन्होंने पीएम पद पर रहते हुए देशवासियों से सप्ताह में एक दिन उपवास रखने की अपील की थी। शास्त्री जी के नेतृत्व पर लोगों को इतना भरोसा था कि पूरा देश सप्ताह में एक दिन उपवास रखने लगा। इसके साथ ही उन्होंने कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया।
8. उन्होंने देशवासियों से अपने आह्वान में कहा था पेट पर रस्सी बांधो, साग-सब्जी ज्यादा खाओ, सप्ताह में एक दिन एक वक्त उपवास करो, देश को अपना मान दो। महात्मा गांधी जी का जिक्र कर वह कहा करते थे मेहनत प्रार्थना करने के समान है।
9. पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने एक बार कहा था कि जो शासन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर कितना भरोसा करते हैं। ऐसा करना इसलिए जरूरी है कि लोकतंत्र में अंतत: जनता ही मुखिया होती है।
Report : महिलाएं बिना वेतन के घर में रोज करती हैं 5 घंटे से ज्यादा काम 10. 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर के केवल 12 घंटे बाद 11 जनवरी, 1966 को रूस के ताशकंद में उन्होंने आखिरी ली। कुछ लोग उनकी मृत्यु को आज भी एक रहस्य के रूप में देखते हैं।