हाल ही में हुईं तमाम रेप की घटनाओं के बाद शनिवार को पॉक्सो एक्ट में बदलाव पर मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ रेप के दोषियों को मौत की सजा दी जाएगी।
क्या है पॉक्सो एक्ट?
पॉक्सो शब्द अंग्रेजी के एक्ट का शॉर्ट फॉर्म है। इसका फुल फॉर्म है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
पॉक्सो एक्ट में मिलने वाली सजा
2012 में नाबालिग बच्चों को संरक्षण प्रदान करने के लिए बने इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। बता दें कि इस के कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा सूनाई जाती है। इस एक्ट में यह भी सूनिश्चित किया गया है कि इसका कड़ाई से पालन भी हो।
अधिनियम की धारा 4
पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत उन मामलों को शामिल किया जाता है जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। इसमें सात साल से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है।
एक्ट की धारा 3
पॉक्सो एक्ट की धारा 3 के के अंतर्गत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है। इसके अंतर्गत बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा दी जाती है।
एक्ट की धारा 6
पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अंतर्गत वे मामले आते हैं, जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गंभीर चोट पहुंचाई गई हो। इस एक्ट में 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
धारा 7 और 8
पॉक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 के अंदर वो मामले आते हैं, जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है। बता दें कि इसके धारा के आरोपियों पर अपराध सिद्ध हो पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
18 साल से कम उम्र
इस एक्ट में 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार कानून के दायरे में आ जाता है। बता दें कि यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।