श्रमिकों के लिए आवागमन का महत्वपूर्ण कार्य
श्रम राज्य मंत्री जूली ने कहा कि इसके अलावा श्रमिकों के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया गया हैं वो हैं लॉकडाउन के दौरान इनके आवागमन की उचित व्यवस्था करना। विभाग ने मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाने के लिए चाहे वह राजस्थान का हो या फिर अन्य किसी राज्य का, इसके लिए 26 करोड रुपए का फंड रोडवेज को दिया। जिससे विशेष और अतिरिक्त बसें लगाकर इस काम को बखूबी अंजाम दिया गया। इस दौरान श्रमिक स्पेशल चली, जिसका 15 प्रतिशत किराया राज्य सरकार ने वहन किया।
श्रम राज्य मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लेबर हैल्पलाइन पर मदद के लिए मजदूरों की तकरीबन 2 लाख से अधिक कॉल आई। जिसमें उन्होंने भोजन, राशन और अन्य सामान की मांग रखी। विभाग ने सभी पूरी की।
लेबर हैल्पलाइन पर आई कॉल के आधार पर पूरे राज्य में अलग—अलग जिलों में काम करने वाले मजदूरों को उनके बकाया मेहनताना दिलवाया। इस तरह से उद्योग और फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों को उनकी पगार के रुप में 26 करोड़ का भुगतान करवाया गया। इसके लिए लगभग एक करोड़ रुपए की अलग से सहायता भी दी गई। कुछ मालिक व श्रमिकों में वेतन को लेकर हुए विवादों को आपसी समझाइश से सुलझाया।
राज्य मंत्री का कहना हैं कि जब से प्रदेश में लॉकडाउन लगा। मैं और मेरी टीम पूरी मुस्तैदी के साथ अपने काम में जुट गए। जहां पहले हमारी टीम सरकारी टाइम से काम करती थी, वो अब इस कोरोना काल में 24 घंटे जुट गई। मैंने खुद ने लगातार हर काम की व्यक्तिगत रुप से मॉनिटरिंग की। जो भी सूचना आई, उस पर तुरंत एक्शन लिया। एक अलग से टीम तैयार की, जिन्होंने ना सिर्फ श्रमिकों के भोजन, राशन—पानी की व्यवस्था की, बल्कि उनके छोटे—मोटे आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई। यहां तक एक एक मजदूर को पूछकर उनके मोबाइल रिचार्ज भी करवाए।
40 लाख से ज्यादा प्रवासियों ने अपना पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया। मुख्यमंत्री संबल योजना के तहत महिलाओं को 3500 रुपए और पुरुषों को 3000 रुपए का बेरोजगारी भत्ता शुरू किया गया। यह भत्ता पहले महिलाओं के लिए 750 रुपए और पुरुषों के लिए 650 रुपए था। इस तरह से प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान एक लाख 60 हजार श्रमिकों को भुगतान किया गया।
जहां जयपुर में एक करोड़ रुपए मजदूरों की मदद के लिए जारी किए गए। वहीं संभागीय मुख्यालयों 75 लाख रुपए और शेष जिलों को 50 लाख रुपए दिए गए। यह राशि जिला कलक्टर के माध्यम से स्ट्रीट वेंडरों, असहाय और बीपीएल परिवारों को दिए गए। जिसके तहत ढाई हजार रुपए 31 लाख लोगों को वितरित किए गए। जिसमें 15 लाख तो मजदूर ही थे।
मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर श्रमिक कार्ड बनवाने में पैसा लिए जाने की अगर कोई बात है तो उसकी शिकायत आनलाइन कर सकते हैं, कार्रवाई होगी। इसके अलावा श्रमिक कार्ड बनाने के लिए अब लोगों को ई—मित्र भी जाने की जरुरत नहीं है। वह अपने मोबाइल से भी पोर्टल के माध्यम से बनवा सकते हैं।