इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि कोरोना मरीज के शरीर में कोरोना का कितना असर बचा है इसकी जानकारी मिल जाएगी। साथ हा मरीज के लिए कोरोना का कितना रिस्क बचा है इसे जानने में भी मदद मिलेगी।
कोरोना के असर का पता लगाने के लिए मुंबई के नेस्को कोविड सेंटर में टेस्टिंग की जा रही है। इस दौरान मरीजों के आवाज के नमूनों को लिया जाता है। डीन डॉ. नीलम अंद्राडे के मुताबिक मरीजों के आवाज के सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं। अब तक एक हजार हो चुके हैं और 15 अक्टूबर तक ये आंकड़ा 2हजार को पार कर जाएगा।
डॉ. नीमल के मुताबिक एकत्र किए गए सभी नमूनों को इजरायल की वेकेलिस हेल्थकेयर कंपनी के पास भेजा जाएगा वहां से करीब 6 महीने बाद रिपोर्ट सामने आएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर हम बता सकेंगे कि कोरोना से संक्रमित मरीजों के शरीर में इस वायरस की क्या स्थिति है और इससे शरीर पर को साइड इफेक्ट तो नहीं पड़ेगा।
डॉ. अंद्राडे ने बताया कि कोविड सेंटर में आने वाले उन्हीं लोगों की वाइस टेस्टिंग की जांच रही है जो कोविड-19 पॉजिटिव है। यह एक तरह का रिसर्च है। इसमें मरीज की पूरी जानकारी इकट्ठा की जा रही है।
कोरोना संक्रमित मरीज की वॉइस टेस्टिंग मशीन से तीन बार टेस्टिंग हो रही है। इसमें कोविड सेंटर में आने के पहले दिन, तीसरे दिन और डिस्चार्ज होने वाले दिन टेस्टिंग होती है। फिलहाल दो टेस्टिंग मशीनों से की जा रही जांच।
कोरोना वॉइस टेस्टिंग का प्रयोग मौजूदा समय में अमरीका और इजरायल जैसे देशों में शुरू हो चुका है।