एडवोकेट नरीमन ने कहा कि जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ जो मुद्दे उठाए गए वे महाभियोग के लिए प्रभावी और पर्याप्त नहीं हैं। नरीमन ने कहा कि इस मामले में कोई फैसला करने के लिए वैधानिक तौर पर वही एकमात्र अधिकारी हैं। नरीमन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ सिर्फ यह कह देना पर्याप्त नहीं है कि उन्होंने यह नहीं किया, वो नहीं किया। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि आरोपों में कितना दम है यह तो सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बनी जांच समिति करेगी।
उन्होंने कहा कि जस्टिस मिश्रा का कार्यकाल अक्टूबर-नवंबर तक चलेगा। ऐसे में उन्हें बहुत ज्यादा समय तक पद पर नहीं रहना है। नरीमन ने कहा कि यदि 4-5 सालों का कार्यकाल बचा हो तो इस पर बहस करना जायज है। इतने छोटे कार्यकाल के लिए यह सब करने का कोई औचित्य नहीं बनता।
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था को बदनाम करने की साजिश कर रहा है, यह सिर्फ जस्टिस मिश्रा का मामला नहीं है। हालांकि मैं जस्टिस मिश्रा की नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के बारे में सोच रहा हूं। मुझे इस बात का बेहद दुख है कि यह सब मेरे जीते जी हुआ।’