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क्या लिखा है पत्र में
शिक्षाविदों की ओर से पीएम को लिखे पत्र में कहा गया है कि वो उन्नाव, कठुआ व उसके बाद रेप व गैंगरेप जैसी घटाओं को लेकर अपना गुस्सा और पीड़ा व्यक्त करना चाहते हैं। पत्र में कहा गया कि देखने में आया है कि घटनाओं के बाद देश में पैदा हुए हिंसात्मक महौल को लेकर आपने लंबी चुप्पी साध रखी है। बता दें कि प्रधानमंत्री के नाम ये पत्र ऐसे समय पर आया है, जब केन्द्र सरकार ने 12 साल और उससे कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप के मामले में दोषियों को मृत्युदंड समेत कड़े दंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी। इस पत्र में कोलंबिया युनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क युनिवर्सिटी, ब्राउन युनिवर्सिटी व विभिन्न आईआईटी शिक्षाविदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
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दुष्कर्मियों को मृत्युदंड
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में शनिवार को 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के लिए मृत्युदंड और 16 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले को आजीवन कारावास के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपराधिक कानून(संशोधन) अध्यादेश, 2018 को मंजूरी दे दी, जिसका उद्देश्य दुष्कर्म के विरुद्ध प्रभावी निवारण और देश की महिलाओं खासकर बच्चियों में सुरक्षा का भाव विकसित करना है। सरकार ने दुष्कर्म के मामले में त्वरित जांच और मुकदमे के लिए भी कई कदम उठाए हैं, जिसके अंतर्गत जांच के लिए दो महीने का समय और मुकदमा पूरा करने के लिए दो महीने का समय और छह महीने के अंतर्गत अपील के निपटान करने का प्रावधान है।