scriptहाई कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं मिला शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश | Tripti Desai and her brigade failed to enter in Shani Shingnapur even after HC's order | Patrika News
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हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं मिला शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश

उच्च न्यायालय के आदेश को लैंगिक भेदभाव के खिलाफ महिलाओं की जीत करार देते हुए देसाई ने कल की थी मंदिर में जाने की घोषणा

Apr 02, 2016 / 03:49 pm

पुनीत पाराशर

Shani Shingnapur

Shani Shingnapur

मुंबई। तृप्ति देसाई के नेतृत्व में भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की 2 दर्जन से भी ज्यादा कार्यकर्ता आज शनि शिंगणापुर मंदिर पहुंची। हालांकि स्थाई लोगों ने उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया। इस पर तृप्ति ने एफआईआर की धमकी देते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना किए जाने की मामला दर्ज कराएंगी।

मालूम हो कि इस बहुचर्चित मंदिर में महिलाओं के शनि पूजन पर रोक है। हाल ही में अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि पूजा स्थलों पर जाना महिलाओं का मौलिक अधिकार है। जिसके बाद इस ब्रिगेड के हौसले और भी बुलंद हैं।

न्यायालय के फैसला के बाद हौसले बुलंद-
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के आदेश को लैंगिक भेदभाव के खिलाफ महिलाओं की जीत करार देते हुए देसाई ने कल घोषणा की थी कि वह और शहर आधारित महिला संगठन से जुड़ी उनकी अनुयायी प्राचीन मंदिर जाएंगी। करीब 25 कार्यकर्ता दो-तीन छोटे वाहनों में सवार होकर आज सुबह मंदिर के लिए रवाना हो गई थीं।

क्या-क्या बोली थीं तृप्ति देसाई?
देसाई ने पुणे के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि उच्च न्यायालय द्वारा महिलाओं के पक्ष में फैसला दिए जाने के बाद हम मंदिर के पवित्र चबूतरे पर पहुंचने को प्रतिबद्ध हैं और हमें विश्वास है कि पुलिस हमें रास्ते में नहीं रोकेगी। उन्होंने कहा था कि यह कहे जाने पर कि यदि मंदिर ट्रस्ट लैंगिकता पर विचार किए बिना किसी भी व्यक्ति को मंदिर के पवित्र चबूतरे पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे तो तब यह कानून (महाराष्ट्र हिन्दू पूजा स्थल कानून 1956) और इसके प्रावधान कोई सहायता नहीं कर पाएंगे।

इस बीच, मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए गठित कार्य समिति के सदस्य उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम उन्यायालय में चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं। कार्य समिति के सदस्य शंभाजी दाहतोंदे ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जल्द ही उच्चतम न्यायालय जाएंगे क्योंकि यह श्रद्धालुओं के विश्वास की रक्षा करने का मामला है।

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