‘मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताने जा रहा हूं। लेकिन ये जानने से पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि आखिर सभ्यता का मतलब क्या है? शब्दकोशों में तो इसका अर्थ दिया गया है- अच्छा करना, सुधारना, जंगली आदतों की जगह अच्छी आदतें उत्पन्न करना और इसका व्यवहार किसी समाज और जाति के लिए ही किया जाता है। आदमी की जंगली दशा को, जिस वक्त वह बिल्कुल जानवरों-सा व्यवहार करता है, उसे बर्बरता कहते हैं। वहीं सभ्यता बिल्कुल उसकी विपरीत है। तो हम बर्बरता से जितना ही दूर होते जाते हैं उतने ही सभ्य होते जाते हैं।
खून के प्यासे बने थे लोग
क्या तुम्हें पता है कि कई साल पहले एक बड़ी लड़ाई हुई थी! दुनिया के कई देशों ने उसमें हिस्सा लिया था और हर एक आदमी दूसरी तरफ के ज्यादा से ज्यादा आदमियों को मार डालने की जी जान से कोशिश कर रहा था। एक तरफ अंग्रेज जर्मनी वालों के खून के प्यासे बन चुके थे तो दूसरी ओर जर्मन के लोग अंग्रेजों के खून के। इस लड़ाई में लाखों की तादाद में लोग मारे गए और हजारों के अंग-भंग हो गए- कोई अंधा, कोई लूला, तो कोई लंगड़ा हो गया।
तुमने भी फ्रांस और दूसरी जगह ऐसे बहुत-से लड़ाई में जख्मी लोग देखे होंगे। पेरिस की सुरंगवाली रेलगाड़ी, जिसे मेट्रो कहते हैं, उसमें उनके लिए खास जगहें निर्धारित है। क्या तुम मानती हो कि इस तरह अपने भाइयों को मारना सभ्यता और समझदारी की बात है? दो आदमी गलियों में लड़ने लगते हैं, तो पुलिसवाले उनमें बीच बचाव कर देते हैं और लोग समझते हैं कि ये दोनों कितने पागल हैं। फिर जब दो बड़े-बड़े मुल्क आपस में लड़ने लगें और हजारों और लाखों आदमियों को मार डालें तो वह कितनी बड़ी बेवकूफी और पागलपन है। यह ठीक वैसा ही है जैसे दो वहशी जंगलों में लड़ाई करते हुए पाए जाते हैं। और अगर वहशी आदमी को जंगली कहा जाता तो वह मूर्ख कितने जंगली हैं जो इस तरह की लड़ाई करते हैं?
अगर तुम इस मामले को इस निगाह से देखो, तो तुम फौरन कह दोगी कि इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली और बहुत से दूसरे मुल्क जिनकी वजह से इतनी मार-काट की, जरा भी सभ्य नहीं हैं। और फिर भी तुम जानती हो कि इन देशों में कितनी अच्छी-अच्छी चीजें हैं और वहां कितने अच्छे-अच्छे आदमी रहते हैं।