Coronavirus: ऑक्सीजन-दवाओं की कमी पर SC का केंद्र को नोटिस, कल होगी सुनवाई
कोरोना वायरस की नई लहर ने देशभर के स्वास्थ्य देखभाल ढांचे को चौपट कर रखा है और ऑक्सीजन-आवश्यक दवाओं की कमी के चलते कई मरीजों को दम तोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इन हालात को चिंताजनक बताते हुए मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को COVID-19 महामारी के दौरान ऑक्सीजन की कमी समेत विभिन्न स्वास्थ्य आपात स्थितियों को लेकर बने मौजूदा “खतरनाक हालात” का स्वतः संज्ञान लिया। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर इस तरह के हालात को संभालने के लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई के तरीकों पर प्रतिक्रिया भी मांगी। वहीं, वेदांता ने अदालत से कहा कि अगर उसे अनुमति दी जाती है तो 2018 से अपने बंद प्लांट के जरिये ऑक्सीजन उत्पादन कर सप्लाई शुरू कर सकता है।
Must Read: कोरोना वायरस के कोहराम के बीच सामने आई बड़ी खुशखबरी, देश के दिग्गज डॉक्टर ने दी शानदार जानकारी शीर्ष अदालत की भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट समेत तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने ऑक्सीजन, दवाओं की कमी, अनुचित इलाज और COVID रोगियों के अन्य संबंधित मुद्दे के बारे में स्वतः संज्ञान लिया। सीजेआई बोबडे ने कहा, “हम स्वतः संज्ञान लेते हैं” और कहा कि “वर्तमान स्थिति चिंताजनक है।”
महामारी के कारण देशभर के मौजूदा व्यापक हालात को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत ने ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं, इंजेक्शन और टीकों की आपूर्ति पर एक राष्ट्रीय योजना की जरूरत महसूस की और केंद्र को नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई शुक्रवार (कल) के लिए निर्धारित की।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह मौजूद हों और यह सुनिश्चित करे कि क्या इस चिंताजनक स्थिति को संभालने के लिए एक राष्ट्रीय योजना तैयार की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी तब की है जब उसने कम से कम छह अलग-अलग राज्यों के उच्च न्यायालयों में इसी मुद्दे पर सुनवाई किए जाने को रिकॉर्ड किया।
Must Read: WHO ने दी चेतावनीः कोरोना के दौर ये 4 खतरनाक लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से करें संपर्क गुरुवार को केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ कानून अधिकारी सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि “देश को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है।” सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किए गए एसजी ने कहा, “हमें मानव जीवन की रक्षा की तरफ होना चाहिए।”
सुनवाई के दौरान केंद्र और वेदांता ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया और केवल कोविड-19 रोगियों को चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति हेतु ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए संयंत्र को फिर से खोलने की अनुमति मांगी। वरिष्ठ वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने वेदांता के लिए अपील करते हुए सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि पर्यावरण के उल्लंघन पर 2018 से संयंत्र बंद है।
इस पर अदालत ने कहा, “हम मामले की कल सुनवाई करेंगे।” वहीं, साल्वे ने तर्क दिया कि बहुत से लोग “दैनिक आधार पर मर रहे हैं। अगर आप आज अनुमति देते हैं तो हम पांच से छह दिनों में इसे शुरू कर सकते हैं।”