राहुल गांधी आज जारी करेंगे कांग्रेस का घोषणा पत्र, इन योजनाओं का कर सकते हैं ऐलान EC पहले की राय पर कायम इस मामले में
चुनाव आयोग ( EC) ने शीर्ष अदालत के सामने अपना पक्ष रखते हुए साफ कर दिया है कि चुनावी बांड और कॉरपोरेट फंडिंग की सीमा हटाना राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता को प्रभावित करेगा। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामें में 2017 में कानून मंत्रालय को भेजी अपनी राय का हवाला देते हुए उसी पर कायम रहने का फैसला किया है। इस मामले में EC की राय है कि स्कीम में डोनर की पहचान न होने और नॉन-प्रॉफिट कंपनियों को भी इलेक्टोरल बांड खरीदने की अनुमति देने से पारदर्शिता में कमी आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
पीएम मोदी के निशाने पर आए शरद पवार, कहा- ‘उन्हें हवा का रुख पता है, इसलिए नहीं … इलेक्टोरल बॉन्ड को मिली चुनौती सुप्रीम कोर्ट में असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की ओर से इलेक्टोरल बांड को चुनौती दी गई है। एसोसिएशन की याचिका में कहा गया है कि इस बांड को बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट ने खरीदा है और पार्टियों को दिया है। इसके जरिए कॉरपोरेटर्स नीतिगत फैसले को प्रभावित कर सकते हैं। असल में सरकार इस दावे के साथ यह बांड लाई थी कि इससे पॉलिटिकल फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा। तमाम कोशिशों के बाद भी अभी इसके विपरीत ही होता दिख रहा है।