आस-पास लोगों को कन्नड़ भाषा में बात करते सुना
सुधा ने पुस्तक में लिखा है कि वे लंदन के हीथ्रू इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बंगलुरु आने की फ्लाइट का इंतजार कर रही थीं। वे लिखती हैं- ‘मैं विदेश में होऊं तब भी साड़ी पहनना पसंद करती हूं। जब यात्रा करनी हो, तो सूट पहनने को पहल देती हूं। इसी अनुसार उम्र का ध्यान रखते हुए मैंने भारतीय परिधान पहने हुए थे। उड़ान भरने में अभी कुछ समय था। मैं वहां बैठ गई और आस-पास के माहौल को देखने लगी। फ्लाइट बंगलुरु के लिए थी, इसलिए मैंने कुछ औरतों को कन्नड़ में बात करते हुए सुना। मैंने देखा मेरी उम्र के कई विवाहित जोड़े थे, जो अमरीका या इंग्लैंड में अपने बच्चों की मदद करने के बाद वापस लौट रहे थे। कुछ ब्रिटिशर्स भारत की तरक्की के बारे में बातें कर रहे थे।’आपको वहां खड़े होना चाहिए…
वे आगे लिखती हैं- ‘जब मैं लाइन में लगी, तभी मेरे आगे वाली महिला मेरी ओर मुड़ी और अपना हाथ आगे बढ़ाकर बोली- ‘क्या मैं आपका बोर्डिंग पास देख सकती हूं?’ मैं उसे अपना बोर्डिंग पास दिखाने ही वाली थी कि मुझे लगा, वो एयरलाइन की इंप्लॉइ नहीं। मैंने पूछा- क्यों?…तो पता चला आपको अंतर
उसने आह भरते हुए कहा- ‘मैं समझाती हूं। देखिए, बिजनेस और इकोनॉमी क्लास टिकट में बहुत अंतर है। पहला तो इसकी कीमत ही उससे ढाई गुना ज्यादा है… शायद तीन गुना ज्यादा। उसकी दोस्त ने भी हामी भरी। फिर बोली, ‘इसके साथ ही इसमें कई तरह के खास अधिकार भी जुड़े हुए हैं।मैंने कैटल-क्लास शब्द पर गुस्सा नहीं किया
उसकी बातें सुनने के बाद भी मैं वहीं खड़ी रही। तभी वो महिला अपनी दोस्त की तरफ मुड़ी और कहने लगी- ‘इन कैटल-क्लास’ लोगों को समझाना बहुत मुश्किल है। स्टाफ को आने दो, वही समझाएंगे कि इसे कहां जाना है। हमारी तो यह सुनेगी नहीं।आपको यह अधिकार दिया किसने?
खैर, मेरी लाइन में लोग धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। मैं अपनी यादों से बाहर आई। मेरे आगे वाली औरत फुसफुसा रही थी- ‘अब इसे दूसरी लाइन में भेजा जाएगा। हमने इसे लाख समझाने की कोशिश की, पर इसकी समझ में नहीं आया।’मदर टैरेसा भी ‘क्लासी’ महिला थीं
‘आपने ‘कैटेल क्लास’ शब्द का उपयोग किया था। ‘क्लास’ के होने का मतलब ज्यादा पैसा होने से नहीं है…।’ मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही थी। ‘इस दुनिया में पैसा कमाने के कई रास्ते हैं। आप उस पैसे से विलासिता की चीजें इकट्ठा कर सकते हैं, लेकिन ये पैसा आपकी ‘क्लास’ को निर्धारित नहीं करता और ना ही आप इसे खरीद सकते हैं। मदर टैरेसा ‘क्लासी’ (उच्च वर्ग) की महिला थीं। इसी तरह भारतीय मूल की महान गणितिज्ञ मंजुल भार्गव। पैसे से खुद को उच्च वर्ग में समझने वाली सोच बहुत पुरानी हो चुकी है।’और मैं उसका उत्तर सुने बिना आगे बढ़ गई।