इस बीच एक चौंकाने वाले शोध ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस शोध की मानें तो कोरोना से निपटने के लिए पाबंदियों को 2 साल तक लागू रखना चाहिए।
मॉनसून को लेकर जारी हुआ सबसे बड़ा अलर्ट, जानिए इस वर्ष आपके इलाके में कब से बरसेंगे बदरा देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार सख्त कदम उठा रही है। यही वजह है कि लॉकडाउन-2 में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम और भी सख्त कर दिए गए हैं। खास तौर पर सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर सरकार पैनी नजर रखे हुए है। लेकिन इस बीच एक शोध ने सभी को चौंका दिया है।
वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए 2022 तक सोशल डिस्टेंसिंग का सहारा लेना पड़ सकता है। नई स्टडी में शोधकर्ताओं ने कहा है कि आने वाले सालों में कोरोना वायरस से फिर से तबाही मचा सकता है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में महामारी विशेषज्ञ और स्टडी के लेखक मार्क लिपसिच ने कहा, संक्रमण दो चीजें होने पर फैलता है। एक संक्रमित व्यक्ति और दूसरा कमजोर इम्यून वाले लोग जब तक कि दुनिया की ज्यादातर आबादी में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो जाती है, तब तक बड़ी आबादी के इसके चपेट में आने की आशंका बनी रहेगी।
2025 में फिर लौटेगा वायरसशोध के मुताबिक वैक्सीन या इलाज ना खोजे जा पाने की स्थिति में 2025 में कोरोना वायरस फिर से पूरी दुनिया को अपनी जद में ले सकता है।
लॉकडाउन2 के साथ ही सरकार ने जारी की गाइडलाइन, जानें शादी और शराब को लेकर किया लिया फैसला महामारी विशेषज्ञ मार्क का कहना है कि वर्तमान में कोरोना वायरस से संक्रमण की स्थिति को देखते हुए 2020 की गर्मी तक महामारी के अंत की भविष्यवाणी करना सही नहीं है। शोध में इस बात पर जोर दिया गया है कि कभी सख्त तो कभी छूट के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सरकार को करवाना ही चाहिए।