इस मामले में अब एम्स (AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) का एक बड़ा बयान सामने आया है। इसमें उन्होंने कहा है, ‘स्कूल खोलने का मकसद हमारे बच्चों को सिर्फ सामान्य जीवन देना नहीं है, बल्कि एक बच्चे के समग्र विकास में स्कूली शिक्षा का महत्व बहुत मायने रखता है और अब समय आ गया है कि स्कूलों को फिर से खोला जाए।’
मीडिया से बातचीत करते हुए डॉ. गुलेरिया ने कहा कि भारत में अन्य देशों के मुकाबले बच्चों में कोरोना संक्रमण (Corona Spread) की दर बहुत कम है और ऑनलाइन क्लास से ज्यादा बच्चों का स्कूल में जाना जरूरी है।’
डॉ. गुलेरिया ने सरकार को स्कूल खोलने की एक रणनीति बताते हुए कहा, ‘5 प्रतिशत से कम संक्रमण दर वाले जिलों में स्कूलों को खोले जाने की योजना बनाई जा सकती है लेकिन अगर स्कूलों के खुलने की वजह से संक्रमण फैलने लगता है तो स्कूलों को तुरंत प्रभाव से बंद किया जा सकता है।’
जरूर पढ़ें: दिल्ली में ऑक्सीजन रिपोर्ट विवाद पर एम्स प्रमुख रणदीप गुलेरिया का बयान, कहा- अभी फाइनल रिपोर्ट नहीं आई डॉ. गुलेरिया ने आगे कहा, ‘जिलों को वैकल्पिक दिनों में बच्चों को स्कूलों में लाने का विकल्प तलाशना चाहिए और सभी स्कूलों को फिर से खोलने की योजना बनानी चाहिए क्योंकि बच्चे के विकास में स्कूली शिक्षा का महत्व बहुत ज्यादा है।’
बच्चों में अच्छी-खासी है प्रतिरोधक क्षमता: डॉ गुलेरिया एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) बहुत अधिक है और वो संक्रमित होने के बावजूद भी बहुत जल्दी ठीक हो रहे हैं। डॉ. गुलेरिया ने बताया कि एम्स की एक स्टडी में यह पता लगा है भारत के 57 प्रतिशत से अधिक बच्चों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पहले से ही है।