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SC का सुप्रीम फैसला: परिवार ने मुआवजा मांगा 25 लाख, दिलाया 50 लाख

खाड़ी देश में काम करनेवाले एक श्रमिक की मौत के बाद परिवार ने 25 लाख रुपए मुआवजे की मांग की थी। 10 साल तक चली कानूनी जंग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने परिवार की आर्थिक दशा को देखते हुए मुआवजे की रकम ब्याज सहित बढ़ाकर 50 लाख रुपए देने का आदेश कंपनी को दिया।

Dec 04, 2018 / 01:36 pm

Dhirendra

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SC का सुप्रीम फैसला: परिवार ने बतौर मुआवजा मांगा 25 लाख, दिलाया 50 लाख मुआवजा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक सड़क दुर्घटना के मामले में पीडि़त परिवार को न्‍याय दिलाने का अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। शीर्ष अदालत का फैसला मानवता के लिहाज से भी प्रशंसनीय है। खाड़ी देश में मजदूर के तौर पर काम करने वाले केरल के एक श्रमिक की मौत के बाद पीडि़त परिवार ने 2008 में मोटर ऐक्सिडेंट क्लेम्स ट्राइब्यूनल (एमएसीटी) में 25 लाख रुपए की मांग की थी। 10 साल तक चली कानूनी जंग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 25 लाख की जगह पर परिवार को 50 लाख रुपए ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर परिवार वालों ने खुशी जाहिर की है। पीडि़त परिवार के लोगों का कहना है कि इससे न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में हमारा भरोसा बढ़ा है।
इस बात का रखा ध्‍यान
पीडि़त परिवार के दावे को लेकर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सर्वोच्च अदालत की ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि वह मुआवजे की जो रकम मांगी गई है उससे अधिक देने का आदेश नहीं दे सकती। सेक्शन 168 के तहत मोटर वीइकल ऐक्ट 1988 के प्रभावी होने के वक्त से ही यह मुआवजे आवंटन का काम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट को इस रकम को अगर उचित लगे तो बढ़ाने का पूरा अधिकार है। इस केस में ट्राइब्यूनल ने 11.83 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर परिवार को देने का आदेश दिया था। 7.5 फीसदी ब्याज के साथ यह रकम लौटाने का आदेश ट्राइब्यूनल ने दिया। केरल हाई कोर्ट ने इसे बढ़ाकर 21.5 लाख रुपए कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने परिवार की दशा को देखते हुए यह रकम बढ़ाकर 28 लाख की और इसमें आठ फीसदी सालाना ब्याज को भी जोड़कर देने का आदेश दिया। इस वजह से कुल मुआवजे की रकम 50 लाख तक पहुंच गई।
क्या है मामला
दरअसल, 10 मई 2008 को हुए एक दुर्घटना में केरल के इस्माइल की मौत हो गई थी। इस्माइल अपने पीछे परिवार में 22 साल की विधवा और दो मासूम बच्चों के साथ 90 साल के बुजुर्ग पिता को छोड़ गए। दोहा में इस्माइल एक फूड सेंट 2500 कतर रियाल यानी 30,000 रुपए की नौकरी करते थे। परिवार ने मौत के बाद एमएसीटी वरकारा में मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपए की मांग की।

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