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इसरो के पूर्व निदेशक का दावा, चंद्रयान-2 मिशन हो गया पूरी तरह फेल

इसरो क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के पूर्व निदेशक रहे हैं नांबी नारायण।
1994 में गिरफ्तारी के बाद 25 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी।
चंद्रयान-2 मिशन की 98 फीसदी सफलता को बताया झूठा।

isro K sivan and nambi narayan
कोच्चि। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के महात्वाकांक्षी चंद्रयान-2 अभियान को लेकर एक वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने बहुत बड़ा बयान दिया है। इसरो के इस सेवानिवृत्त वैज्ञानिक ने चंद्रयान-2 मिशन को पूरी तरह से असफल करार दिया है। इसरो के चंद्रयान-2 मिशन को नाकामयाब बताने वाले इस वैज्ञानिक का नाम नांबी नारायणन हैं और इनका नाम सनसनीखेज इसरो जासूसी मामले में उठा था।
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भारतीय अंतरिक्ष संगठन के दावे को खारिज करते हुए 78 वर्षीय नांबी नारायणन ने कहा इसरो का चंद्रयान-2 अभियान पूरी तरह असफल था। उन्होंने कहा, “इसरो का दावा कि उनका मिशन 98 फीसदी सफल रहा, झूठा है।”
शनिवार को एक दक्षिण भारतीय मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने आगे कहा, “इस बार एशियाई मुल्कों को अंतरिक्ष अध्ययन के क्षेत्र में एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।”

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चंद्रयान-2 को लेकर नांबी नारायणन ने हैरानी जताते हुए कहा, “इस मिशन का मकसद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था। यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। इसलिए कैसे इसरो जनता के सामने यह दावा कर सकता है कि यह मिशन 98 फीसदी कामयाब रहा।”
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उन्होंने भारत के चंद्र अभियान के भविष्य पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मानना ज्यादा बेहतर है कि चंद्रयान-2 को सौ फीसदी असफल मान लिया जाए।
नारायणन ने कहा कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की तरह एशियाई मुल्कों को भी आपस में सहयोग करना चाहिए। अंतरिक्ष शोध में सहयोग से समूचे एशिया को फायदा पहुंचेगा।

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गौरतलब है कि बीते 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर लैंड करने से कुछ वक्त पहले ही विक्रम लैंडर का संपर्क इसरो से टूट गया था और इसकी सुनियोजित लैंडिंग नहीं हो सकी थी। इसके दो दिन बाद इसरो विक्रम लैंडर की लोकेशन का पता लगाने में सफल हो गया था।
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हालांकि लोकेशन पता चलने के बावजूद इसरो का विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पाया था और इसकी वजह संभावित हार्ड लैंडिंग को बताई गई थी। इसके चलते विक्रम लैंडर का कम्यूनिकेेशन सिस्टम खराब होना या फिर इसके उचित ढंग से संपर्क के लायक स्थिति में न होने को बताया गया।
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इसरो फिर भी संपर्क साधने में जुटा रहा और 21 सितंबर तक इसके प्रयास किए क्योंकि इस दिन से चंद्रमा पर रात शुरू हो गई, जिसमें विक्रम से संपर्क साधना तकरीबन नामुमकिन था, क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन की रात होती है और इस दौरान वहां का तापमान शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे पहुंच जाता है।
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हालांकि इसरो के प्रमुख के सिवन ने कहा था कि चंद्रयान-2 अभियान 98 फीसदी कामयाब रहा है क्योंकि इसका ऑर्बिटर शानदार ढंग से काम कर रहा है। बीते माह सिवन ने कहा था, “चंद्रयान-2 ऑर्बिटर काफी बेहतर काम कर रहा है। ऑर्बिटर के सभी आठ उपकरण जैसा हम चाहते थे, वैसे ही काम कर रहे हैं। यह मिशन 98 फीसदी सफल रहा है। अब हमारी अगली प्राथमिकता गगनयान है।”
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चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के 10 दिन बाद नासा का एलआरओ इस स्थान के ऊपर से गुजरा था और इसमें लैंडिंग साइट की तस्वीरें खींची थी। हालांकि चंद्रमा के दक्षिणी सतह पर शाम होने और छाया पड़ने के चलते इनकी तस्वीरों में विक्रम लैंडर को स्पॉट नहीं किया जा सका।
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इसके बाद अब सोमवार 13 अक्टूबर को नासा का एलआरओ एक बार फिर से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के ऊपर उसी स्थान से गुजरा जहां विक्रम को लैंडिंग करनी थी और इसने तस्वीरें खींची। फिलहाल नासा इन तस्वीरों का विश्लेषण कर रहा है ताकि विक्रम लैंडर का पता लगा सके।
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इसरो जासूसी केस

बता दें कि पिछले साल नारायणन को सुप्रीम कोर्ट ने कुख्यात जासूसी कांड में दोषी ठहराए जाने के बाद कठिन परीक्षा से गुजरने के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया था। 25 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहे नारायणन ने अपनी लड़ाई तब तक जारी रखने की कसम खाई थी, जब तक ‘मनगढ़ंत मामले’ की साजिश रचने वाले लोगों को जेल नहीं हो जाती।
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नारायणन को ‘पाकिस्तान को गोपनीय जानकारी बेचने’ के आरोप में नवंबर 1994 में गिरफ्तार किया था। उस वक्त नारायणन इसरो के क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के निदेशक थे। नारायणन की गिरफ्तारी तिरुवनंतपुरम में मालदीव की नागरिक मरियम रशीदा को केरल पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने के एक माह बाद हुई थी, क्योंकि उसने इसरो के रॉकेट इंजन की ड्राइंग्स हासिल की थीं।

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