युवा और महिलाओं के लिए नीतीश सरकार ने शुरू की बड़ी योजना, बिना ब्याज पाएं 10 लाख तक लोन
पोलिटिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार संभवत केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं या घाटी के भविष्य को लेकर कोई बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 के प्रावधानों को समाप्त करते हुए राज्य के तीन भाग कर दिए थे। इसके अलावा, राज्य के विघटन के तुरंत बाद ही रिटायर्ड न्यायाधीश आर. देसाई के नेतृत्व में एक परिसीमन आयोग भी गठित किया गया था जिसे जम्मू कश्मीर के परिसीमन का कार्य सौंपा गया था।तब से वहां पर चुनाव नहीं हुए हैं और राज्यपाल की देखरेख में ही यहां का शासन चल रहा है।कोरोना महामारी के दौरान EPF से जुड़ी इन 5 बातों को जानना है बहुत जरूरी
अगस्त 2019 के बाद से पहली बार राज्य में इस तरह की कवायद होने जा रही है। बैठक में अमित शाह, अन्य केन्द्रीय नेताओं सहित आईबी तथा रॉ के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रह सकते हैं। आधिकारियों के अनुसार केन्द्र सरकार ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित करने की प्रोसेस आरंभ कर दी है।प्रस्तावित मीटिंग को लेकर महबूबा ने कहा कि उन्हें केन्द्र सरकार से फोन आया था परन्तु वह अपनी पार्टी के सदस्यों से सलाह के बाद ही कोई निर्णय लेंगी। इसी प्रकार जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने केन्द्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे हमारी उस धारणा को बल मिलता है कि जम्मू कश्मीर के लिए लोकतंत्र और राज्य का दर्जा बहान करने के लिए आपसी बातचीत ही सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
आपको बता दें कि राज्य में लोकतंत्र की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की दिशा में यह पहला कदम नहीं है वरन गत वर्ष भी जिला विकास परिषद के चुनाव करवाए जा चुके हैं। इन चुनावों में भाजपा 75 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने 67 सीटों पर जीत हासिल की थी।