रिसर्च रिपोर्ट: पहली की अपेक्षा कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कम संक्रमित हुए पुरुष, कई और मामलों में अलग थी दोनों लहर
डॉक्टरों के अनुसार, कोरोना वायरस के कारण नसों में खून का थक्का जमने के मामले सामने आए थे। वहीं, अब धमनियों में थक्का जमने के मामले सामने आ रहे हैं। इसे चिकित्सीय भाषा में आर्टरियल थ्रॉम्बोसिस कहते हैं। धमनियों में खून का थक्का जमने से गैंगरीन का खतरा रहता है, जिसमें मरीज की जान बचाने के लिए अंगों को काटना पड़ सकता है। यही नहीं, धमनियों में थक्का जमने से दूसरे अंगों को भी खतरा पैदा हो सकता है। यह मामले कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के करीब दो हफ्ते बाद सामने आ रहे हैं। यह समस्या सभी आयु वर्ग में देखी जा रही है, मगर युवाओं में यह अधिक है।विशेषज्ञों का दावा- भारत में अक्टूबर-नवंबर में चरम पर होगी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर और यह बेहद घातक होगी
क्या हैं लक्षण– पैर में दर्द शुरू होता है और यह धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है।
– अंगुलियों और अंगूठे में सुन्न महसूस होता है।
– पैरों की गतिशीलता कम और धीरे-धीरे बंद हो जाती है।
-ऑक्सीजन आपूर्ति पर भी असर होता है, जिससे शरीर पीला दिखने लगता है।
– मरीज की पल्स रेट पता नहीं लगती।
डॉक्टरों के अनुसार, यह परेशानी कैसे और क्यों बढ़ रही है, इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। ठोस नतीजे शोध परिणाम आने के बाद ही पता लगेंगे। संभवत: कोरोना वायरस की चपेट में आने के साथ ही धमनियों में खून के छोटे-छोटे थक्के बनने लगते हों और यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हो। डॉक्टरों का कहना है थक्का जमने के आठ से 24 घंटे के भीतर मरीज को अस्पताल पहुंचा देना चाहिए। साथ ही, धमनियों में जमा थक्का यदि ठोस नहीं है, तभी राहत की उम्मीद की जा सकती है।