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10वीं और 12वीं के बच्चों को बुलाया
सरकार के अनुसार प्रथम चरण में स्कूलों में केवल 10वीं और 12वीं के बच्चों को ही बुलाया जाएगा। जिसमें बच्चों के अभिभावकों की अनुमति लेना भी अनिवार्य होगा। लेकिन इसको लेकर सरकार ने जो सहमति पत्र जारी किया उसको लेकर तमाम सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, सरकार ने सहमति पत्र में कहा है कि अगर स्कूल में किसी बच्चे को कोरोना वायरस का संक्रमण होता है तो इसके लिए सरकार और स्कूल प्रबंधन नहीं, बल्कि अभिभावक जिम्मेदार होंगे। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि अगर छात्रों के कोरोना हुआ तो अभिभावक स्कूलों को जिम्मेदार नहीं ठहराएंगे।
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क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री?
हिमाचल प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर का कहना है कि छात्रों को स्कूलों में अभिभावकों की अनुमति के बाद ही बुलाया जाएगा। इसके लिए ईपीटीएम यानी ऑनलाइन तरीके से अध्यापक-अभिभावकों की बैठके करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि जहां संख्या बहुत अधिक नहीं है, वहां पर फिजिकली भी बैठाने की व्यवस्था की जा सकती है। इसके लिए स्कूलों को माइक्रो प्लान तैयार करना होगा। जिसमें अभिभावकों की राय को सर्वोपरी रखा गया है।
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कब बुलाए जाएंगे छोटी क्लास के बच्चे?
वहीं, पहले चरण में केवल 10वी और 12वीं के छात्रों को ही स्कूल में बुलाया गया है। इसके बाद फिर छोटी कक्षाओं के बारे में कोई फैसला लिया जाएगा। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के अनुसार फिलहाल बड़ी कक्षा के छात्रों को ही बुलाया गया है, छोटी कक्षाओं के बच्चों को स्कूल बुलाने में अभी विलंब हो सकता है। आपको बता दें कि हिमाचल में अब 100 प्रतिशत स्टाफ स्कूल बुलाया जा रहा है। इस स्टॉफ में टीर्चस और नॉन टीचिंग स्टॉफ शामिल है।