दरअसल हाईकोर्ट में दायर इस याचिका में कहा गया है कि मुकेश ने उपराज्यपाल व राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है। यही वजह है कि डेथ वारंट को रद्द किया जाए। इस वारंट के अमल पर रोक लगायी जाये। ऐसा नहीं होने पर याची के संवैधानिक अधिकार प्रभावित होंगे।
याचिका में दोषी को दया याचिका दायर करने के अधिकार संबंधी जानकारी भी दी गई है। जब दया याचिका खारिज हो जाए तो कानून दोषी को सुप्रीम कोर्ट जाने की इजाजत देता है।
मुकेश ने अपनी दया याचिका में अपने चाल-चलन और व्यवहार का हवाला दिया है। मुकेश के वकील का कहना है कि उनके व्यवहार और चाल-चलन को देखते हुए उनकी फांसी की सजा के आदेश के निरस्त किया जाए।