आपको बता दें कि निर्भया के दोषियों को फांसी देने के तिहाड़ जेल प्रशासन लगातार तैयारियों में जुटा है। जल्लाद से लेकर फंदे तक हर उस काम को अंजाम दिया जा रहा है जो उन दरिंदों को फांसी देने के लिए जरूरी है। इस बीच खबर आई है कि निर्भया के दोषियों को सुबह की खामोशी में फांसी दी जाएगी।
जेल मैन्युअल पर नजर दौड़ाएं तो निर्भया के दोषियों को फांसी देने का वक्त सुबह सूर्योदय के बाद का होगा। आमतौर पर गर्मियों में सुबह छह बजे और सर्दियों में सात बजे फांसी दी जाती है।
यानी निर्भया के दोषियों को करीब 7 बजे के आस-पास ही फांसी दी जाएगी। सर्दियों में आमतौर पर इस वक्क तक कई लोग सो रहे होते हैं।
फांसी पर लटकाने से पहले होगा ये काम
दोषियों को फांसी पर लटकाने से पहले सुबह पांच बजे नहलाया जाएगा। जैसा अन्य फांसी के दोषियों के साथ होता है। उसके बाद उसे नए कपड़े पहनाए जाएंगे। फिर चाय पीने के लिए दी जाएगी।
नाश्ते के लिए भी पूछा जाएगा
फांसी चढ़ाने से पहले निर्भया के दोषियों को नाश्ते के लिए भी पूछा जाएगा। हालांकि पिछले कुछ दिनों से जब से दोषियों को भनक लगी है कि उनको फांसी देने का वक्त नजदीक आ रहा है उन्होंने खाना-पीना कम कर दिया है। उनका वजन भी लगातार घटता जा रहा है।
आखिरी इच्छा
नाश्ते के बाद मजिस्ट्रेट फांसी पर चढ़ाए जाने वाले दोषियों से उनकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछेंगे। बस इसके बाद वो वक्त आ जाएगा जब उन्हें अपनी करतूतों की सजा दी जाएगी।
उन्हें काला कपड़ा पहनाकर उसके हाथ को पीछे से बांध कर फांसी घर लाया जाता है। यहां पहुंचने के बाद उसके चेहरे को भी ढंक दिया जाता है। यह सब काम जल्लाद करता है।
आवाज नहीं इशारे से होगी फांसी
फांसी देते वक्त कोई आवाज न हो इसके लिए पूरे बंदोबस्त किया जाएगा। जब फांसी देने की वक्त आता है तो उसके लिए इशारे के तौर पर रुमाल को गिराया जाता है और जल्लाद लिवर खींचता है।
ये लोग रहेंगे मौजूद
जेल मैन्युअल पर नजर दौड़ाएं तो इस दौरान एक डाक्टर, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, जेलर, डिप्टी जेलर और करीब 12 पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं। यहां सारी कार्रवाई इशारों में होती है। ब्लैक वारंट में तय समय पर दोषी को वहां लाकर जल्लाद उसके गर्दन में फंदा डाल देता है।