केपी शर्मा का नेपाल में उनके बयान का जबरदस्त विरोध हो रहा है। नेपाल ( Nepal ) के ही नेताओं का कहना है कि पीएम ओली के इस तरह के बयानों के चलते नेपाल और भारत ( Nepal India Relation ) के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ रहा है। पीएम ओली को ऐसे बयानों से बचना चाहिए।
कोरोना संकट के बीच आई अच्छी खबर, ग्लेनमार्क ने सस्ती कर दी कोरोना दवा की कीमत, जानें कितना हुआ फायदा भगवान राम के नेपाली होने का दावा कर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने लिए ही मुसीबत बढ़ा ली है। उनका अपने देश में ही जमकर विरोध हो रहा है। राष्ट्रीय प्रजातांत्री पार्टी के सह-अध्यक्ष कमल थापा ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए इस तरह के निराधार, अप्रमाणित बयानों से बचना चाहिए। थापा ने ट्वीट कर लिखा- ऐसा लग रहा है कि पीएम तनावों को हल करने के बजाय नेपाल-भारत संबंधों को और खराब करना चाहते हैं।
थापा अकेले नहीं हैं जो ओली के दावे के विरोध में खड़े हैं। थापा के अलावा राष्ट्रीय योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष स्वर्णिम वागले ने भी पीएम ओली को चेतावनी दी कि भारतीय मीडिया पीएम के बयान से विवादास्पद सुर्खियां बटोर सकता है।
सोशल मीडिया पर भी पीएम ओली के बयानों को लेकर कई तरह की टिप्पणियां आना शुरू हो गईं। कुछ लोगों इसे हास्यास्पद कहा तो कुछ ने विवादित बताया।
राजस्थान में उठे सियासी संकट के बीच इस राज्य में बीजेपी को लगा बड़ा झटका, गुटबाजी का आरोप लगाते हुए विधायक ने किया पार्टी छोड़ने का ऐलान ये है ओली का बयान
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि नेपाल की जनक नंदनी सीता का विवाह अयोध्या के राजकुमार राम से हुआ था, लेकिन ये वो अयोध्या नहीं जो भारत में है, बल्कि ये अयोध्या नेपाल में है। उन्होंने कहा कि नेपाल के बीरगंज के पश्चिम में अयोध्या स्थित है। भारत में अपने यहां नकली अयोध्या बनाया है। जितनी बेतुकी नेपाल के पीएम की ये बातें है उसके भी बेतुका उनका तर्क है।
उन्होंने नेपाल में असली अयोध्या हेने के पीछे जो तर्क दिया वो और भी हैरान करने वाला है। ओली ने कहा कि जनकपुरी की सीता का विवाद अयोध्या के राम से हुआ, लेकिन अगर भारत स्थित अयोध्या वास्तविक है तो वहां से राम शादी के लिए इतनी दूर जनकपुर कैसे आ सकते हैं? ओली का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
बढ़ रही है इस्तीफे की मांग
नेपाल में कई दिनों से केपी ओली के इस्तीफे की मांग उठ रही है। बजट सत्र को स्थगित करने के बाद अब केपी ओली एक अध्यादेश लाकर पार्टी को तोड़ सकते हैं।