नई दिल्ली। भारत के दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ ( Chandrayaan 2 ) को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी का पता लगाया है। मिशन के दौरान मिले आंकड़ों से ये बात सामने आई है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसधान संगठन ( ISRO ) के पूर्व अध्यक्ष ए एस किरण कुमार के सहयोग से लिखे गए अनुसंधान पत्र में इस बात का खुलासा किया गया है। मिशन का ऑर्बिटर वर्तमान में भी चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है, जिसकी बदौलत ही ये आंकड़े मिले हैं।
यह भी पढ़ेंः नासा की रिपोर्ट में दावा, भारत के इन 12 शहरों का वर्ष 2100 तक मिट जाएगा नामोनिशान चंद्रयान-2 ने चांद पर पानी के अणुओं ( Water Molecules ) की मौजूदगी का पता लगाया है। एस किरण कुमार के सहयोग से लिखे गए अनुसंधान पत्र में कहा गया है कि, ‘चंद्रयान-2’ में लगे उपकरणों में इमेजिंग इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS) नामक उपकरण भी है, जो वैश्विक वैज्ञानिक आंकड़ा प्राप्त करने के लिए 100 किलोमीटर की एक ध्रुवीय कक्षा से संबंधित काम कर रहा है।
दरअसल करंट साइंस मैगजीन में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि, IIRS से मिले शुरुआती डेटा से चंद्रमा पर 29 डिग्री उत्तरी और 62 डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच व्यापक जलयोजन और अमिश्रित हाइड्रोक्सिल (OH) और पानी (H2O) अणुओं की मौजूदगी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
चट्टानों पर मिले पानी के अणु रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लेजियोक्लेस प्रचुर चट्टानों में चांद के अंधकार से भरे मैदानी इलाकों की तुलना में ज्यादा OH (हाइड्रोक्सिल) या H2O अणु पाए गए हैं। चंद्रयान-2 से भले ही उम्मीद के मुताबिक परिणाम सामने ना आए हों, लेकिन ये घटनाक्रम भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यह भी पढ़ेंः Chandrayaan 2: चंद्रयान-2 को लेकर एक साल बाद आई बड़ी खबर, जानें ISRO ने क्या बताया बता दें कि भारत ने अपने दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को चांद के लिए रवाना किया था। हालांकि, इसमें लगा लैंडर विक्रम निर्धारित योजना के तहत सात सितंबर को चांद के दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब नहीं रहा था। इसकी वजह से भारत का चांद पर उतरने वाला पहला देश बनने का सपना अधूरा रह गया था।
लैंडर विक्रम में प्रज्ञान नाम का रोवर भी था। वहीं ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है और ये पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को अपने आंकड़े लगातार भेज रहा है।
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