डेनमार्क ने भले ही ऊदबिलावों को मार दिया हो, लेकिन इसका खतरा अब भी खत्म नहीं हुआ। इनका वायरस सालभर में 9 देशों में देखा जा चुका है। डेनमार्क में जनवरी के बाद यह अप्रैल में नीदरलैंड्स देखा गया। इसके बाद जून में स्पेन, इटली, लिथुएनिया, स्वीडन, ग्रीस, कनाडा के साथ अमरीका में भी फैल चुका है।
ऊदबिलाव के अंदर वायरस में हुए बदलाव इंसानों तक नहीं पहुंचे। लेकिन बदलावों का एक सेट जिसे ‘क्लस्टर 5’ कहा गया, वह डेनमार्क के 12 लोगों में फैला। साथ ही 200 अन्य लोगों में भी ऊदबिलाव वाले वायरस के पाया गया। क्लस्टर 5 से चिंता इसलिए बढ़ी क्योंकि इसमें उस स्पाइक प्रोटीन में बदलाव हुआ, जिसका इस्तेमाल वैक्सीन शरीर को कोविड के प्रति लड़ने के लिए ट्रेन करने में करती हैं।
अब तक ऊदबिलावा वाला वायरस जंगल में कितना फैला है, इसकी जानकारी नहीं मिली है। लेकिन अगर ये और फैला तो मुसीबत आनी तय है। हर बार हम महामारी को वैक्सीन और लॉकडाउन्स से काबू में लाएंगे, वह जंगल से फिर फैलेगा।
ऊदबिलावों को श्वसन तंत्र में इन्फेक्शन का ज्यादा खतरा रहता है। किसी फार्म वर्कर को कोविड हो और वह बाड़े के पास खांसे या छींक दे तो पूरे फार्म के ऊदबिलावों में वायरस फैलने में समय नहीं लगता।
ऊदबिलाव मांसाहारी जीव है, जो पानी में रहता है। भारत में ऊदबिलावों तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। चिकनी त्वचा वाली ऊदबिलाव ठहरे हुए जल में होता है। छोटे नाखूनों वाला ऊदबिलाव ऊंचे स्थानों में पाया जाता है। उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में यूरेशियन ऊदबिलाव पाए जाते हैं।