दिल्ली हिंसा: शाहरुख पठान की जमानत याचिका खारिज, सिपाही पर तानी थी पिस्टल
इस दौरान शुक्रवार को जब सुभाष को पता चला कि प्रवासी मजदूरों की एक बस पटना जा रही है, तो वह बस अड्डे पहुंच गए। सुभाष बस अड्डे स्टेशन के बाहर खड़े हो गए और बिहार जाने वाले प्रवासी मजदूरों से मदद की गुहार लगाने लगे। यहां तक कि उन्होंने पुलिसकर्मियो से भी मदद मांगी। इस बीच मुजफ्फरपुर जाने वाला एक प्रवासी मजदूर उनकी दवाइयों का पार्सल ले जाने को तैयार हो गया। सुभाष ने कहा कि मुजफ्फरपुर से उसका भाई पार्सल रिसीव कर लेगा। इसके बाद कहीं जाकर सुभाष की सांस में सांस आई।
आखिर अमित शाह को अपने स्वास्थ्य को लेकर क्यों देनी पड़ी सफाई, बोले— मुझे कोई बीमारी नहीं है
आपको बता दें कि द्वारका निवासी सुभाष सिंह पिछले हर तीन माह में अपनी मां को दवाइयों का पार्सल भेजते हैं। लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से उनके सामने संकट खड़ा हो गया। हालांकि इस दौरान उन्होंने प्राइवेट कूरियर कंपनियों से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन कोई बात न बनी। ऐसे में उनको अपनी मां तक दवाई भेजने की चिंता सता रही थी।