66 वर्षीय फिरोज मर्चेंट संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय व्यवसायी हैं, जो अपने परोपकारी कार्यों के लिए जाने जाते हैं। वह प्योर गोल्ड ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष हैं। प्योर गोल्ड ज्वैलर्स के पूरे मध्य पूर्व में 120 से अधिक स्टोर हैं।
मर्जेंट ने 2008 में ‘द फॉरगटन सोसायटी’ बनाई थी, जो पेंशनभोगियों के कल्याण के लिए काम करती है। इसी के मार्फत वह अब तक 56 करोड़ 41 लाख रुपए देकर 20 हजार से ज्यादा कैदी रिहा करवा चुके हैं। वह न केवल कैदियों का कर्ज और जुर्माना भरते हैं, बल्कि देश वापस भेजने के लिए हवाई टिकट भी करवाते हैं।
मर्जेंट का परिवार मुंबई के भिंडी बाजार के इमामबाड़ा बस्ती में रहता था। उनके पिता गुलाम हुसैन एक कंपनी में ब्रोकर थे, जबकि मां मालेकबाई गृहिणी थी। 11 सदस्यों के परिवार में वे हुसैन अकेले कमाने वाले थे। आर्थिक तंगी ऐसी थी कि फीस नहीं भरने के कारण दूसरी कक्षा में स्कूल छोडऩा पड़ा था।
1980 में शादी के बाद वे पैसों का बंदोबस्त कर पत्नी के साथ दुबई गए थे, जहां उन्हें आभूषण के व्यापार में उम्मीद की चमक नजर आई। हालांकि पहले पत्नी और फिर पिता ने दुबई में व्यापार की बात को खारिज कर दिया। लेकिन 1989 में पिता उन्हें दुबई भेजने पर सहमत हो गए।
अजमान जेल के प्रशासनिक अधिकारी कर्नल मोहम्मद यूसुफ अल मटरोशी का कहना है, कैदियों की रिहाई और उनके पुनर्वास के लिए ऐसी प्रतिबद्धता और चिंता देखना दुर्लभ है। उनके इस परोपकार के लि उन्हें यूएई में सम्मानित भी किया जा चुका है।